मकर संक्रांति के दिन सूर्य उपासना का महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। पौराणिक मान्यताओं कि मानें तो मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इसलिए मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की आराधना के साथ शनि देव की आराधना करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन यदि आप शनि देव की पूजा पूरे विधि विधान से करें और उनसे संबंदित वस्तुएं दान करें तो आपको शनि दोष से मुक्ति मिलेगी। इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। सूर्य 14 जनवरी को दोपहर 2: 28 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। मकर संक्रांति को लेकर कई श्रद्धालुओं के बीच ऊहापोह की स्थिति है। आमतौर पर मकर संक्राति 14 जनवरी को मनाई जाती है। हालांकि, इस बार मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी दोपहर दो बजकर 28 मिनट से शुरू हो रहा है। ऐसे में उदयातिथि से मानने वाले श्रद्धालु 15 जनवरी को पर्व मनाएंगे।
शनि दोष मुक्ति के लिए करें ये उपाय
मकर संक्रांति को स्नान के बाद जल में काले तिल मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करें।
उसके बाद शनि देव की पूजा करें।
पूजा में काले तिल अर्पित करें।
पूजा के बाद गरीब, जरूरतमंद लोगों को सरसों का तेल, काला तिल, तिल के लड्डू, गरम वस्त्र आदि दान करें।
ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होंगे और आपको आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
मकर संक्रांति के दिन चावल और उड़द की दाल के दान का भी विशेष महत्व है।
एक माह के लिए सूर्य करते हैं पुत्र के घर निवास
सूर्य ग्रह के मकर सही में प्रवेश करने के कारण ही ये दिन मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। साथ ही इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। मकर राशि के स्वामी ग्रह शनिदेव है और पौराणिक मान्यता के अनुसार शनिदेव को मकर सूर्यदेव ने ही उपहार स्वरूप दिया था। मान्यता है कि सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से उनके घर मकर संक्रांति के दिन मिलते हैं और वहां वे लगभग एक माह तक रहते हैं।
काले तिल से किया था भगवान सूर्य का स्वागत
शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य ग्रह पहली बार शनि देव से मिलने उनके घर गए थे तब उन्होंने अपने पिता का स्वागत काले तिल से किया था। सूर्यदेव उनकी आवभगत से प्रसन्न हुए थे। उन्होंने शनिदेव को आशीर्वाद दिया कि उनका घर सदा धन-धान्य से भरा रहेगा ।