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पुण्य स्मरण:: स्व. अटलबिहारी वाजपेयी जी

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आज 16 अगस्त को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 6वीं पुण्यतिथि है। अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रमुख राजनेता, प्रखर वक्ता और कवि थे, जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार सेवा दी। उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी गहरी छाप छोड़ी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया।

वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ था। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहाँ लोग उनके योगदान को याद करते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनकी दूरदर्शिता, नेतृत्व क्षमता और ओजस्वी भाषणों ने न केवल भारत के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया, बल्कि देश को एक नई दिशा दी। वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। वे एक शिक्षक परिवार से आते थे, और प्रारंभ से ही उनका रुझान साहित्य और राजनीति की ओर था। उन्होंने राजनीति विज्ञान और कानून की पढ़ाई की, लेकिन उनका झुकाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ की ओर हुआ, जिससे उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश किया।

अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय राजनीति में अपने करियर की शुरुआत भारतीय जनसंघ से की थी, जिसे उन्होंने 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में स्थापित किया था। उन्होंने जनसंघ के सचिव और बाद में अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभाई। 1957 में, वाजपेयी पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और संसद में अपने प्रखर और ओजस्वी भाषणों से लोगों का ध्यान आकर्षित किया। वे एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने नेहरू के बाद संसद में खड़े होकर कहा था कि “एक दिन मैं भी भारत का प्रधानमंत्री बनूंगा।”

1977 में, जनता पार्टी के गठन के बाद वाजपेयी विदेश मंत्री बने। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर भारतीय संस्कृति और भाषा को वैश्विक मंच पर गौरव दिलाया। उनकी यह पहल देश में हिंदी को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। लेकिन उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक सफलता 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना के साथ आई। भाजपा की स्थापना के बाद, वाजपेयी ने पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत करने का काम किया। उन्होंने 1980, 1996, 1998 और 1999 में पार्टी का नेतृत्व किया और प्रधानमंत्री बने।

1996 में, वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार मात्र 13 दिन ही चल सकी। इसके बाद 1998 में वे फिर से प्रधानमंत्री बने और इस बार उनकी सरकार 13 महीने तक चली। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया, जिसने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सूची में शामिल कर दिया। इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत किया और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा।

1999 में, वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और इस बार उनका कार्यकाल पांच साल चला। उनके इस कार्यकाल को कई अहम घटनाओं के लिए याद किया जाता है, जिनमें कारगिल युद्ध, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, सर्वशिक्षा अभियान और सूचना प्रौद्योगिकी में भारत की बड़ी छलांग शामिल है। कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी, और यह वाजपेयी के नेतृत्व का ही परिणाम था कि भारत ने इस युद्ध में नैतिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर विजय हासिल की।

अटल बिहारी वाजपेयी एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से देश को सड़कों के माध्यम से जोड़ने का महत्वपूर्ण काम किया। उनके कार्यकाल में भारतीय आईटी उद्योग ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।

वाजपेयी का राजनीतिक जीवन जितना महत्वपूर्ण था, उतना ही महत्वपूर्ण उनका साहित्यिक योगदान भी था। वे एक संवेदनशील कवि और लेखक थे। उनकी कविताएं और लेखनी उनकी संवेदनशीलता, राष्ट्रभक्ति और मानवीय मूल्यों को प्रकट करती हैं। उनकी कविताओं में राष्ट्रीयता, प्रेम, संघर्ष और साहस की झलक मिलती है। उनकी कविता “कदम मिलाकर चलना होगा” और “गीत नया गाता हूँ” आज भी लोगों के दिलों में जगह बनाए हुए हैं।

वाजपेयी का व्यक्तित्व उनके विरोधियों के बीच भी सम्मान का विषय था। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कभी व्यक्तिगत आलोचना नहीं की और हमेशा मुद्दों पर आधारित राजनीति की। उनके नेतृत्व में, भाजपा ने अपनी सांप्रदायिक छवि से उबरने का प्रयास किया और राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख स्थान हासिल किया। वे भारतीय राजनीति में सद्भाव और संवाद के प्रतीक थे, और यही कारण है कि वे विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच भी अत्यधिक सम्मानित थे।

16 अगस्त 2018 को, अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दुनिया को अलविदा कहा। उनके निधन पर देश भर में शोक की लहर दौड़ गई। वाजपेयी के जाने के बाद भी उनका प्रभाव भारतीय राजनीति और समाज पर बना हुआ है। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें उनके योगदान और उपलब्धियों को याद किया जाता है।

वाजपेयी का जीवन हमें यह सिखाता है कि राजनीति केवल सत्ता पाने का खेल नहीं है, बल्कि यह एक सेवा है जिसमें देश और समाज के हित को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए। वे अपने सिद्धांतों के प्रति सदा अडिग रहे और अपने आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया। उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता ने भारत को एक मजबूत और सशक्त राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अटल बिहारी वाजपेयी की 6वीं पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं। उनका जीवन और योगदान हमें प्रेरित करता रहेगा और उनके विचार हमें एक बेहतर भारत के निर्माण के लिए मार्गदर्शन देते रहेंगे।

दीपक कांकर

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