ग्वालियर: मर्सीहोम चिकित्सालय में इलाजरत मानसिक दिव्यांग हर रोज होने वाले पावर कट का टार्चर झेलने को मजबूर हैं। दिन हो या रात बिजली के लंबे कट लगने से यहां दाखिल मानसिक दिव्यांग बच्चों की सुध लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है। मर्सीहोम प्रबंधन बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए बिजली वितरण कंपनी के जिम्मेदारों के साथ सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करा चुका है, लेकिन बिजली व्यवस्था में अब तक कोई सुधार नहीं हो सका है।
ग्रामीण क्षेत्र के फीडर से मर्सीहोम चिकित्सालय की बिजली लाइन जुड़ी होने के चलते हर रोज पावर कट का सामना न केवल मानसिक दिव्यांग बल्कि यहां रहने वाले स्टाफ को झेलना पड़ रहा है। मानसिक दिव्यांग बिजली गुल होने से होने वाली परेशानी को बयां नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन भीषण गर्मी में बिना बिजली के दिन और रात बिताना उनके लिए मुश्किल भरा साबित हो रहा है।
शिकायत सुनने वाला नहीं कोई, अफसर नहीं उठाते फोन
बिजली वितरण कंपनी के लापरवाह रवैये के चलते मर्सीहोम में इलाजरत 50 मानसिक दिव्यांग बच्चों के साथ डाक्टर से लेकर स्टाफ परेशान है। बिजली व्यवस्था का आलम यह है कि दिन हो या रात बिजली गुल होने का कोई समय नहीं है। बिजली गुल होने पर मर्सीहोम प्रबंधन बिजली कंपनी के अधिकारियों को फोन करता है तो फोन नहीं उठाते। हर रोज बिजली की समस्या से जूझना पड़ता है। बिजली गुल होने के बाद उसके आने का कोई समय तय नहीं है।
पानी तक का संकट झेलते हैं मानसिक दिव्यांग
स्वयं का दर्द बयां न कर पाने वाले मानसिक दिव्यांग बच्चों को बिजली गुल होने पर पानी का संकट तक झेलना पड़ता है। ऐसे में मर्सीहोम प्रबंधन को बाहर से पानी की व्यवस्था करना पड़ती है। इतना ही नहीं मर्सीहोम में कूलर और एसी लगे हैं, लेकिन बिजली व्यवस्था दुरुस्त न होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पाता, जबकि मानसिक दिव्यांग बच्चों को खुले में नहीं छोड़ा जा सकता। उनको कमरे में ही रखना पड़ता है।
मर्सीहोम में बिजली व्यवस्था को दुरुस्त कराने के लिए संबंधित को निर्देशित किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र के फीडर से बिजली सप्लाई होने के कारण दिक्कत आ रही होगी।
-अभय चौपड़ा, उप महाप्रबंधक, ग्रामीण, बिजली वितरण कंपनी।