इंदौर लोकसभा सीट पर सभी राउंड के मतों की गणना की पूरी हो चुकी है। बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी ने जीत की लीड का अपना ही पिछला रिकार्ड तोड़ दिया है। इस बार लालवानी को अब तक 12 लाख वोटों के साथ बढ़त पर हैं। लालवानी ने पिछले चुनाव में 5 लाख 47 हजार वोटों के मार्जिन से चुनाव जीता था, जो इंदौर लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी जीत थी। लालवानी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी संजय सोलंकी से 11 लाख 58 हजार 351 वोटों की लीड बना ली। वहीं नोटा पर अब तक 2 लाख से अधिक वोट पड़ेंगे।
लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को आएंगे और इंदौर लोकसभा सीट के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी है। ऐसा माना जा रहा है कि इंदौर में देश की सबसे बड़ी जीत हो सकती है। इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम आखिरी वक्त में भाजपा में शामिल हो गए थे और भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी के लिए राह आसान हो गई थी। इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने नोटा का समर्थन किया था। इंदौर सीट पर पहली बार कांग्रेस विहीन लोकसभा चुनाव हुए हैं।
साल 2019 में 5.47 लाख वोटों से जीती थी भाजपा
बीते लोकसभा चुनावों की बात करें तो साल 2019 में भाजपा इंदौर लोकसभा सीट पर 5.47 लाख वोटों से जीती थी। इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा का बीते 35 साल से कब्जा है। 1989 में सुमित्रा महाजन पहली बार इंदौर सीट से चुनाव जीती थीं और वे 8 बार इंदौर सीट से सांसद रही। शंकर लालवानी दूसरी बार इंदौर से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार जीत मिलने पर भाजपा इंदौर सीट पर लगातार 10वीं बार अपनी जीत दर्ज करेगी।
ऐसा है इंदौर लोकसभा सीट का इतिहास
इंदौर में पहला लोकसभा चुनाव साल 1952 में लड़ा गया था। इंदौर के पहले सांसद नंदलाल सूर्यनारायण जोशी थे। तब इंदौर में कांग्रेस पार्टी काफी मजबूत थी। इसके बाद साल 1962 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी होमी दाजी ने इंदौर सीट पर जीत हासिल की। इसके बाद 1977 में इंदौर ने एक बार फिर चौंकाया और भारतीय लोकदल के बैनर तले कल्याण जैन जीतें। मप्र के मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश चंद सेठी इंदौर से 4 बार और सुमित्रा महाजन 9 बार सांसद चुने गए