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सेमरी बांध में नाम मात्र का बचा पानी जल सप्लाई प्रभावित होने से 3 दिन से बेगमगंज में मचा हाहाकार 

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शरद शर्मा बेगमगंज रायसेन

फसल के लिए पास सारा पानी खींच लिए जाने से सेमरी बांध के अंदर पानी नाम मात्र का बचा होने से इंटेकवेल पर पानी नहीं पहुंच पाने के कारण नगर पालिका परिषद द्वारा 3 दिन से पेयजल सप्लाई नहीं की जा रही है। बूंद-बूंद पानी को तरसते लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है ।
इस समय नगर सहित ग्रामीण अंचल में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।

नागरिकों का आरोप है कि नगर के अंदर जो जलस्रोत थे उन्हें पूर्व की नगर पालिका परिषदों द्वारा पूरी तरह से खत्म कर दिए गए थे । वर्तमान में केवल सेमरी जलाशय से ही पेयजल सप्लाई की जा रही है लेकिन सेमरी जलाशय में पानी नहीं बचने से पिछले तीन दिन से पेयजल सप्लाई नहीं होने के कारण नगर की करीब एक लाख की आबादी बूंद- बूंद पानी को तरस रही हैं।आज नगर में पेयजल के अन्य कोई जलस्रोत नहीं होने से स्थिति ओर ज्यादा गड़बड़ा गई है ।

आक्रोशित लोगों ने शासन – प्रशासन को दोष देते हुए आरोप लगाया है कि पिछले तीन दिन से नगर में पेयजल सप्लाई ठप्प पड़ी हुई है और जिस पर नगरपालिका परिषद द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है ।
लोग बूंद – बूंद पानी को तरस रहे हैं । ऐसे में स्थिति और ज्यादा बिगड़ने का खतरा बना हुआ है ।

इधर नगर पालिका परिषद के निर्वाचित अध्यक्ष एवं पार्षदों द्वारा सफाई दी जा रही है कि सेमरी जलाशय से किसानों द्वारा मूंग की फसल सिंचाई करने के कारण डैम में जल स्तर कम होने से जल सप्लाई प्रभावित हुई है । सेमरी परियोजना के द्वारा जब जल सेमरी नदी में छोड़ जाता है तब वह पानी सुमेर गांव के पास स्थित नगर पालिका परिषद के जल स्टोर में पहुंचता है और वहां से पानी फिल्टर किए जाने के बाद नगर में स्थित पानी की टंकियों में पहुंचकर सभी 18 वार्डों में सप्लाई किया जाता है। पिछले एक दशक से यह व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही थी लेकिन इस बार प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पेयजल से मूंग की फसल की सिंचाई कर रहे किसानों को पर जब कार्रवाई की गई तो राजनीतिक दबाव सामने आ गया जिसकी वजह से अधिकारियों ने मुहिम रोके जाने से यह स्थिति निर्मित हुई है कि अब लोग पीने के लिए बूंद बूंद पानी को तरस रहे हैं ।

वर्तमान समय में नगर में इस समय नगरवासियों की पेयजलपूर्ति के लिए जलस्रोतों की व्यवस्था नहीं होने के कारण स्थिति और भयाभय हो गई है।
पूर्व से वर्तमान नगर पालिका परिषद द्वारा नगर में स्थित ट्यूबवेल एवं कुआं तथा बावड़ी का संधारण नहीं किया गया। जिसके कारण पूर्व के जलस्रोत प्रायः खत्म हो गए हैं ।

वर्तमान में नगर केवल सेमरी जलाशय से मिलने वाले पानी पर ही निर्भर है लेकिन पिछले तीन दिन से पानी नहीं मिलने के कारण अब पुराने जल स्रोतों की याद नगर पालिका परिषद को भी सताने लगी है।
पूर्व की परिषदों द्वारा प्रत्येक वार्ड में ट्यूबवेल खनन कराए गए थे और उनके माध्यम से ही नगर में पेयजल की सुचारू सप्लाई की जाती थी लेकिन एक दशक से उन्हें बंद किए जाने के बाद केवल सेमरी नदी पर निर्भर होने के कारण आज यह स्थिति निर्मित हुई है।

मुख्य नगर पालिका अधिकारी कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि नगर पालिका परिषद द्वारा पेयजल संकट के मद्देनजर परिषद के तीन टैंकर एवं दो फायर ब्रिगेड एवं 6 निजी टैंकर किराए से लेकर पेयजल संकटग्रस्त वार्डों में लोगों को पानी देना शुरू किया गया है ताकि कम से कम उन्हें पीने का पानी तो उपलब्ध हो जाए।


जैसे ही वार्डों में जल सप्लाई करने टैंकर पहुंचते हैं वैसे ही पानी भरने को लेकर महिलाओं , बच्चों और पुरुषों की भारी भीड़ टूट पड़ती है। पानी भरने को लेकर विवाद भी खूब हो रहे हैं ।

जल अभावग्रस्त लोगों ने बताया कि अभी केवल 5 – 5 कुप्पी पानी देने की व्यवस्था की गई है । ताकि खाने -पीने के लिए पानी मिल जाए। लेकिन वो भी कम पड़ रहा है ।

पेयजल संकट का मुख्य कारण सेमरी डैम में किसानों द्वारा मूंग की फसल में सिचाई किए जाने से पानी नहीं बचा है । जिसके कारण यह स्थिति निर्मित हुई है । सुमेर में जल स्टोर एवं फिल्टर प्लांट के पास आज ट्यूबवेल खनन कराए जा रहे हैं।
यदि पानी मिल गया तो और ज्यादा खनन कराने के बाद पानी की व्यवस्था कर सप्लाई की जाएगी । यदि आज शाम तक बोर में पानी आ गया तो फिल्टर प्लांट पर स्टोर करके कल से सुचारू रूप से पानी देने की व्यवस्था किए जाने की बात मुख्य नगर पालिका अधिकारी कृष्णकांत शर्मा द्वारा की गई है ।

वही सलैया स्टाफ डैम के फाउंडेशन से नीचे भरा हुआ पानी को नगर पालिका के आठ कर्मचारी तीन दिन से लगातार चार विद्युत मोटर एवं दो डीजल इंजन ऑन स्रोतों से पानी नीचे बहाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि पानी इंटेकवेल तक पहुंच जाए, साथ ही सेमरी नदी में इंटेक्सवेल के पास डायनामाइट भी लगवाए गए हैं ताकि पानी आने के लिए रास्ता सुगम हो सके।

सेमरी परियोजना प्रभारी एवं जल संसाधन विभाग के एसडीओ अरविंद यादव का कहना है कि इस वर्ष क्षेत्र में आसपास के किसानों द्वारा मूंग की फसल की बहुत ज्यादा बुवाई की गई है। जिसके कारण सेमरी डैम का पानी सिंचाई में उपयोग होने से डैम सूख गया है। नाम मात्र का पानी बचा है ।
उससे पेयजल सप्लाई कैसे हो सकती है । दोनों नगरीय निकायों एवं ग्राम पंचायतों को अपने स्तर से पेयजल की व्यवस्था करना होगी ।अन्यथा आगे स्थिति और ज्यादा विकट हो सकती है ।

 

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