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दिल्ली का वो श्रापित बंगला, जिसने छीनी 3 मंत्रियों की कुर्सी! एक को जाना पड़ा जेल

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दिल्ली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर इन दिनों जितना राजकुमार आनंद चर्चा में हैं, उतना ही चर्चा में सिविल लाइंस को वो बंगला नंबर 4 भी है, जहां राजकुमार आनंद रहते थे. लोग दबी जुबान में लोग इस बंगले को श्रापित मान रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली में लूटियन के बाद सबसे पॉश इलाके में सिविल लाइंस शुमार है. जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर LG और तमाम मंत्री रहते हैं, लेकिन इन दिनों राजनैतिक गलियारों में एक चर्चा है और वह चर्चा बंगला को लेकर भी है.

सवाल उठ रहे हैं कि क्या सिविल लाइंस का बंगला नंबर 4 श्रापित है? क्या इस बंगले में रहने वाले मंत्रियों को अपना सब कुछ गंवाना पड़ा? जो बंगला कुछ दिनों पहले तक मंत्री से मिलने वालों से गुलजार रहता था, वहां अब गहरी विरानी और सन्नाटा छाया हुआ है.

अंधरे की गोद में समाया हुआ है बंगला

रोशनी से नहाने वाला मंत्री का बंगला अब अंधेरे की गोद में समाया हुआ है. मंत्री के बंगले पर कोई नहीं है. दरवाजे पर ताले लगे हैं. गेट के नीचे बिल्ली ने घर बना लिया है, तो पेड़ों से चमगादड़ का बसेरा है.

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद इस बंगले में तीन कैबिनेट मंत्री रहे और तीनों में से एक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. आइए जानते हैं कि कौन हैं वे मंत्री.

1. संदीप कुमार: 2015 में संदीप दिल्ली की सुल्तानपुर माजरा विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने संदीप कुमार को दिल्ली का महिला एवं बाल कल्याण मंत्री बनाया गया था, लेकिन 2016 सैक्स स्कैंडल सामने आने से मंत्री पद से बर्खास्त किया गया. बाद में बलात्कार के मामले में गिरफ्तार भी हुए.

2. राजेन्द्र पाल गौतम: 2020 में आम आदमी पार्टी की सरकार में राजेंद्र पाल गौतम दूसरी बार मंत्री बने, लेकिन बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाओं को प्रचारित करने और हिंदू देवी देवताओं को ना मानने के ब्यान के बाद उठे विवाद के चलते राजेन्द्र पाल गौतम को अक्टूबर 2022 में अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.

3.राजकुमार आनंद: राजेन्द्र पाल गौतम के इस्तीफे के बाद अरविंद केजरीवाल ने राजकुमार आनंद पर भरोसा जताया और 2020 में पहली बार विधायक बने राजकुमार आनंद को 2022 में मंत्री बनाया. 7 विभागों की जिम्मेदारी दी, लेकिन 2 नवंबर 2023 को राजकुमार आनंद के घर ED का छापा पड़ा. 23 घंटे तक ED की टीम घर पर मौजूद रहीं. आनंद की गिरफ्तारी की अटकलें लगने लगी. 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई और 10 अप्रैल को राजकुमार आनंद ने पार्टी पर काम ना करने देने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर इस्तीफा दे दिया.

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