हजारों की संख्या में श्रद्धालु सडक़ पर बैठकर आवाज का श्रवण कर पूरी आस्था में कथा में मग्न
अनुराग शर्मा
सीहोर। जो सभी को अपनी और आकर्षित कर ले, उन्हें श्रीकृष्ण कहते है। भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लेते ही अपनी लीलाओं से सबको अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। चाहे वह गोपियां हो, चाहे वह अर्जुन का चित्त। गोपी शब्द की व्याख्या इस प्रकार की गयी है। गो अर्थात् इन्द्रियां और ‘पी’ का अर्थ है पान करना। जो अपनी समस्त इन्द्रियों के द्वारा केवल भक्तिरस का ही पान करे, वही गोपी है। हमारी सभी चित्तवृत्तियों को भगवान में लगाकर कथा का श्रवण और ध्यान करना चाहिए।
उक्त विचार शहर के अग्रवाल महिला मंडल के तत्वाधान में बड़ा बाजार में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के दौरान भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे।
उन्होंने कहा कि आप लोगों तो कथा का श्रवण करने के लिए अंदर बैठे हुए है, लेकिन भवन के बाहर सडक़, ओटले, गली और घरों में बैठे हुए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मात्र माइक की आवाज को केन्द्र में रखते हुए भगवान पर विश्वास कर भक्ति में मग्र है। इसको भक्ति की चरम सीमा कहते है। ईश्वर के नाम का ध्यान करने के लिए जहां पर भी स्थान मिले उसको ग्रहण करना चाहिए।
भजन और भोजन का आनंद स्वस्थ शरीर में है
कथा के पांचवे दिवस भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भजन और भोजन का आनंद स्वस्थ शरीर में है। इसलिए हमारे शरीर को निरोगी होना जरूरी है। अपनी इंद्रियों को नियंत्रण कर भगवान की शरण में जाना चाहिए। अगर आपका अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण है, तो भक्ति में मन लग जाएगा। भक्त पर भगवान प्रसन्न हो सकते है। हमें इंद्रियों का स्वामी बनना है, दास नहीं। बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं जब वर्णन किया गया तो उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। इसी के साथ भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने गोवर्धन पर्वत की कथा सुनाई। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग भी अर्पित किए गए। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों का समान भाव से सामना करने में सक्षम होना ही मन की समता है। बाहरी परिस्थितियाँ बदलती रहेंगी। भाग्य और कठिनाई भी वैकल्पिक होंगी। हमें सचेतन रूप से हर चीज़ के संबंध में पूर्ण स्वीकृति का दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए। यदि हम ऐसा कर सकें तो हमारे जीवन में सदैव शांति और आनंद बना रहेगा।
मानव देह का महत्व भगवान की भक्ति में है
पंडित श्री मिश्रा ने भगवान की महत्ता बताते हुए कहा कि भगवान शिव और भगवान कृष्ण की करुणा और कृपा संपूर्ण विश्व में व्याप्त है। उनकी कृपा दृष्टि से ही यह जगत संचालित है। जब तक ईश्वर की कृपा नहीं होती, जीवन में हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते। उन्होंने भक्तिभाव से कथा सुन रहे श्रद्धालुओं को बताया कि भागवत कथा में हजार श्लोक हैं। उनमें से एक श्लोक ही नहीं, बल्कि एक शब्द मात्र को भी जीवन में धारण करने से इस मानव देह के लिए सिद्ध हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमें मनुष्य का शरीर तो मिल गया, लेकिन हमने इसके महत्व को नहीं समझा तो सब बेकार है। मानव देह का महत्व भगवान की भक्ति में है।
आज किया जाएगा रुकमणी विवाह का आयोजन
अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार को सात दिवसीय भागवत कथा के छठवे दिवस रुकमणी विवाह और तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा। बुधवार को 56 भोग की प्रसादी का वितरण किया गया था। वहीं बड़ा बाजार के दोनों तरफ भोजन प्रसादी की व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए की गई थी।