सूडान में फंसे बैरागढ़ के व्यापारी ने फोन पर सुनाई व्यथा फ्लैट के बाहर हो रही गोलीबारी खाद्य सामग्री भी खत्म हो रही
भोपाल। सूडान में हिंसा के बीच बैरागढ़ निवासी एक युवक वापस भारत नहीं आ पा रहा है। चिंतित युवक के स्वजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार की है। युवक ने स्वजनों को फोन पर बताया कि उनके फ्लैट के सामने ही सेना का मुख्यालय है। यहां पर जबर्दस्त गोलीबारी हो रही है। कई कारतूस फ्लैट परिसर में आकर गिरे हैं।
बैरागढ़ निवासी नरेंद्र केवलानी के अनुसार उनका पुत्र जयंत कारोबार के सिलसिले में सूडान गया था। वैसे वह दुबई में कारोबार करता है। कुछ दिन के लिए सूडान गया था। 20 अप्रैल को उसे वापस भारत आना था। वापसी के दो दिन पहले ही वहां गृह युद्ध के हालात निर्मित हो गए। वहां की सेना और पैरामिलिट्री रेपिड सपोर्ट फोर्स के बीच वर्चस्व का संघर्ष हो रहा है। सेना मुख्यालय पर हमले के बाद वहां कोई नागरिक घर से बाहर निकलने की स्थिति में नहीं है। नरेंद्र ने गुरुवार को कांग्रेस नेता नरेश ज्ञानचंदानी के साथ मिलकर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ से मुलाकात की और उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। ज्ञानचंदानी के अनुसार इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी विदेश मंत्रालय को ट्वीट कर सहयोग का आग्रह किया था। विदेश मंत्रालय ने जवाब में सूडान में फंसे भारतीयों की हरसंभव मदद करने का भरोसा दिलाया है।
स्वजन फिक्रमंद
युवा पुत्र के फंसे होने की खबर के बाद केवलानी परिवार चिंतित है। पिता नरेंद्र केवलानी माता तमन्ना, दादा गिरधारी लाल, भाई मोहित और बहन वंशिका दिनभर टीवी पर टकटकी लगाकर सूडान की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। जयंत ने परिवार को कुछ वीडियो भेजे हैं इसमें उनके फ्लैट के सामने इन गोलीबारी हो रही है। अनहोनी की आशंका से पूरा परिवार चिंतित है। पिता नरेंद्र केवलानी के अनुसार सुरक्षा की चिंता के साथ खाद्य सामग्री की कमी भी बड़ी चिंता है क्योंकि जयंत एवं उसके साथ रहे तीन युवकों के पास दो-तीन दिन की खाद्य सामग्री ही बची है। यदि जल्द कुछ हल न निकला तो हालात बिगड़ जाएंगे। जयंत सूडान की राजधानी खार्तूम में सेना मुख्यालय के पास ही फ्लैट में फंसा है। वहां रह-रहकर गोलीबारी हो रही है। अभी तक उनके पास कोई भी मदद के लिए नहीं आया है। जयंत ने अपना पासपोर्ट एवं जरूरी दस्तावेज अपने पास ही रखे हैं, लेकिन हमले के बाद एयरपोर्ट को भी बंद कर दिया गया है। अब वहां बसे भारतीयों को भारत सरकार से ही मदद की उम्मीद है।
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