दो साल बाद उत्साह : बुद्धि विनायक गणेश प्रतिमाओं की डिजाइन के लिए इंटरनेट का सहारा,गणेश प्रतिमाओं पर भी महंगाई डायन का असर
शिवलाल यादव रायसेन
रायसेन। शहर में गणेशोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। 31 अगस्त से शुरू हो रहे 10 दिवसीय महापर्व के लिए दो साल बाद मूर्तिकार भी गणेश प्रतिमाओं को बड़े पैमाने पर आकार लेने में लगे हैं। परम्परागत कलाकार अनुभव के सांचे में प्रतिमाओं में रंग भर रहे हैं।लेकिन ऑनडिमांड उन्हें गूगल या इंटरनेट का सहारा लेने में भी गुरेज नहीं है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की सख्त हिदायत के बाद रायसेन शहर में मूर्तिकार सिर्फ मिट्टी से प्रतिमा बनाने को तवज्जो दे रहे हैं। प्राकृतिक कलर के स्थान पर वे शाइनिंग के लिए फ्लोरोसेंट कलर्स का ही चलन बनाए हुए हैं। कोरोना से उबरने के बाद इस वर्ष बडी प्रतिमाओं का भी निर्माण हो रहा है। शहर के पाटनदेव ,गंजबाजार ,नरापुरा क्षेत्र में बड़ी संख्या में मूर्तियों का निर्माण होता है। यहां मूर्तियां लकड़ी, बोरी,सुतली, प्याल घासफून्स ,पीली व काली मिट्टी, पटिए से बनती हैं। पीली और काली मिट्टी खेतों के तालाबों से मंगवाई जाती है। गणेश चतुर्थी के आते ही दो से तीन दिन पहले मार्केट में छोटी-छोटी प्रतिमाओं की बिक्री शुरू हो जाएगी।
गणेश भगवान की प्रतिमाओं पर भी महंगाई का असर….
भगवान गणेश प्रतिमाओं के निर्माण में भी महंगाई का असर साफ देखा जा सकता है। मूर्तिकार लखन चक्रवर्ती राधेश्याम सुनील महोबिया गोविंद
प्रजापति ने बताया कि पहले जहां 3 से 4 हजार में मिट्टी की ट्राली मिल जाती थी। अब 5 से 6 हजार में मिलती है। इसी तरह सुतली जहां 40-50 रुपए में लाते थे जब 125-140 रुपए में मिलती है। इस हिसाब से देखें, तो पूरी प्रक्रिया में लगभग 40 से 50 प्रतिशत तक का असर हुआ है। मूर्तिकारों ने बताया कि दो साल बाद इस वर्ष बड़ी मूर्तियों के भी ऑर्डर मिले हैं।