‘कसमें वादे प्यार वफा सब बाते हैं बातों का क्या’… फिल्म ‘उपकार’ का ये सदाबहार गाना तो ज्यादातर लोगों ने सुना होगा. इस गाने के बोल आजकल की रिलेशनशिप पर बिल्कुल सही बैठते हैं. बदलते वक्त में लव रिलेशनशिप में भी काफी बदलाव आए हैं और इन्हीं बदलावों में से एक नाम है ‘सिचुएशनशिप’ का जो रिलेशन और सिचुएशन से मिलकर बना है. नई जनरेशन के बीच ये रिलेशनशिप का ये टर्म काफी ज्यादा पॉपुलर है. इस टर्म से सावधान रहने की जरूरत है, नहीं तो दोनों में से एक पार्टनर का काफी ज्यादा तकलीफ हो सकती है.
सिचुएशनशिप यानी ऐसा रिश्ता जिसमें दोनों में से किसी एक पार्टनर को ज्यादा तकलीफ होती है और आजकल की ज्यादातर रिलेशनशिप सिचुएशनशिप में बदल चुकी हैं, इसलिए वक्त रहते ये जानना जरूरी है कि आप कहीं रिलेशनशिप की बजाय सिचुएशनशिप में तो नहीं हैं. तो चलिए जानते हैं कि कैसे पता लगाएं कि आप सिचुएशनशिप में हैं.
कमिटमेंट को टालते रहना
आपके रिलेशनशिप को कुछ वक्त हो चुका है और आप लोग क्लोज आ चुके हैं, फिर भी पार्टनर कुछ भी क्लियर नहीं कर रहा है यानी वो आपके करीब तो रहना चाहता है, लेकिन वह कमिटमेंट की बात होते ही कतराने लगता है तो समझ जाएं कि आप सिचुएशनशिप में फंसे हुए हैं.
जिम्मेदारियों से फ्री रहना
रिलेशनशिप में प्यार के साथ ही जिम्मेदारियां भी होती हैं. इस वजह से दोनों ही पार्टनर्स को थोड़ा-थोड़ा एडजस्ट भी करना पड़ता है, हालांकि सिचुएशनशिप में ऐसा नहीं होता है. अगर आपका पार्टनर किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेता है और बिल्कुल फ्री रहना चाहता है, जैसे आपके चाहने पर मिलने में कोई दिलचस्पी न लेना, आपकी मर्जी से बात न करना, सिर्फ खुद का मन होने पर अचानक डेट का प्लान बना लेना जैसी चीजें सिचुएशनशिप को दिखाती हैं.
इमोशनल अटैचमेंट से बचना
किसी भी रिश्ते में फिजिकल से ज्यादा जरूरी होता है पार्टनर्स का इमोशनली करीब होना. लव स्टोरीज शुरू ही किसी के प्रति दिल में फीलिंग्स से होती हैं. आपका पार्टनर अगर इमोशनल अटैचमेंट से बचता (आपकी लाइफ में क्या चल रहा है इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता) है, तो ये रिश्ता रिलेशन नहीं बल्कि सिचुएशनशिप हो सकता है, क्योंकि सिचुएशनशिप का सीधा मतलब होता है किसी रिश्ते में सिचुएशन के मुताबिक रहना और किसी तरह का लगाव न रखना.