-कैबिनेट के निर्णय को भी ताक पर रखते हैं अधिकारी
डॉ.अनिल जैन भोपाल
सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा देने वाले महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के दिन बहुरने ही वाले थे की अब उनकी मेहनत परिश्रम एवं बची हुई जिंदगी में ग्रहण लगने का काम शुरू कर दिया गया है।अतिथि विद्वान महासंघ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा की उच्च विभाग ने मुख्यमंत्री की घोषणाओं और कैबिनेट के फैसलों को पलीता लगाते हुए अतिथि विद्वान पंचायत में मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं और उन पास हुए कैबिनेट के निर्णय की धज्जियां उड़ाते हुए आदेश जारी किया है उससे अतिथि विद्वानों में आक्रोश और असंतोष है।मुख्यमंत्री जी की सभी 6 घोषणाओं में से एक भी घोषणा का पालन नही किया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रमुख घोषणाएं और अमल के प्रमुख बिंदु
1. मुख्यमंत्री की दिनांक 11 सितम्बर को की गई घोषणा क्र सी 2798-
अतिथि विद्वानों को कार्य दिवस के बजाय मासिक मानदेय दिया जाएगा जो 50 हज़ार फिक्स होगा।दिहाड़ी मानदेय से मिलेगा छुटकारा।
जबकि उच्च शिक्षा विभाग ने इसमें विपरीत आदेश निकालकर रुपया प्रतिदिन रुपये 500/- की वृद्धि करके अतिथिविद्वान की दिहाड़ी मजदूरी को बरकरार रखकर आपकी घोषणा की खुली अवहेलना की गई।
2- घोषणा क्र. सी 2800- अतिथि विद्वानों को अब शासकीय सेवकों के समान अवकाश की सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
जबकि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ठीक इसके विपरीत आदेश निकालकर केवल आकस्मिक अवकाश की सुविधा दी गयी, जबकि घोषणा की मूल भावना चिकित्सा अवकाश को शामिल नही करके आपकी घोषणा की खुली अवहेलना की गई।
3. घोषणा क्र. सी 2803-अतिथिविद्वानों को प्रतिवर्ष 4 एवंम अधिकतम 20 अंक दिए जाते है, जिसे बढ़ाकर 10% तक अंक दिए जाने की व्यवस्था की जाएगी।
मुख्यमंत्रीजी की इस घोषणा पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई। एवं घोषणा की अवहेलना की गई।
4.घोषणा क्र. सी 2804-वे अतिथिविद्वान जो लगातार पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं, उन्हें सेवा से बाहर नही किया जाएगा। जिससे कभी फालेन आउट की नौबत ही नही आएगी। बल्कि जो फालेन आउट है उन्हें इन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा घोर अवहेलना करते हुए कोई भी कार्यवाही नही की गई एवम घोषणा पर फालेन आउट की समस्या के स्थायी निराकरण हेतु कोई अमल नही किया गया।
इस तरह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री की दिनांक 11 सितम्बर को आयोजित पंचायत में की गई किसी भी घोषणा पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा घोर लापरवाही दिखाते हुए मुख्यमंत्री की घोषणाओं की घोर अवहेलना की गई,जिससे पूरे प्रदेश के अतिथि विद्वानों में घोर आक्रोश व्याप्त है।
सभी घोषणाएं धरी की धरी रह गई विभाग ने मनमानी और अड़ियल रवैये से आदेश जारी कर दिया।जैसे अधिकारियों को लगता है कि अब यह सरकार नहीं आने वाली या स्वयं ही इसको नहीं आने देना चाहते।अतिथि विद्वानों के द्वारा लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित,वीडी शर्मा,राजेंद्र शुक्ल,गोपाल भार्गव,भूपेंद्र सिंह,ज्योतिरादित्य सिंधिया,कैलाश विजयवर्गीय आदि सभी भाजपा का दिग्गजों से गुहार लगाई जा रही है कि जो आप वादा किए हैं कैबिनेट से मंजूरी मिली है उसी का आदेश जारी करवाएं।
इनका कहना हे –
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो घोषणा किए हैं पंचायत में उनको पूरी करने का संशोधित आदेश जारी हो।क्योंकि जो आदेश जारी किया गया है उसमे मुख्यमंत्री जी की घोषणा के विपरीत जारी किया गया हैं।जिससे अतिथि विद्वानों में काफ़ी आक्रोश है।मुख्यमंत्री सहित सभी नेताओं से बात रखी जा रही है।
डॉ देवराज सिंह,प्रदेश अध्यक्ष,अतिथि विद्वान महासंघ
50 हज़ार मासिक वेतन एवं 65 वर्ष तक रिटायरमेंट उम्र तक अतिथि विद्वान बाहर नहीं होंगे इस सीएम की घोषणा और कैबिनेट की मजूरी के बाद भी आदेश जारी नही किया गया और जो जारी हुआ है वो ठीक उलट है जो बेहद गंभीर मामला है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी से निवेदन है तत्काल एक्शन लेते हुए 50 हजार मासिक वेतन एवं लगातार सेवा में बने रहने का आदेश जारी करवाएं।
डॉ आशीष पांडेय, मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ