इंदौर। राज्य अधिवक्ता परिषद ने तदर्थ कमेटी द्वारा गठित अभिभाषक वेलफेयर समिति को अवैधानिक घोषित कर दिया है। परिषद ने माना कि तदर्थ कमेटी ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर कमेटी का गठन किया था। मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद को ऐसी समानांतर समिति के गठन की कोई जानकारी भी नहीं दी गई थी। इंदौर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष गोपाल कचोलिया ने अभिभाषक वेलफेयर समिति को लेकर राज्य अधिवक्ता परिषद से शिकायत की थी। परिषद ने इस पर सुनवाई के बाद वेलफेयर समिति को अवैधानिक घोषित किया है।
गौरतलब है कि इंदौर अभिभाषक संघ की कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्य अधिवक्ता परिषद ने तदर्थ कमेटी का गठन किया था। कमेटी को निष्पक्ष चुनाव कराने का काम सौंपा था, लेकिन उसने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर अभिभाषक वेलफेयर समिति गठित कर ली। इसने अधिवक्ता कल्याण निधि के स्टाम्प टिकट अधिवक्ताओं को 40 रुपये के बजाय 70 रुपये में बेचे।
बिना मान्यता के संघ को कोई अधिकार नहीं
परिषद ने आदेश में कहा है कि अभिभाषक वेलफेयर कमेटी को न तो अधिवक्ता कल्याण निधि के स्टाम्प टिकट खरीदने-बेचने का अधिकार है, न ही अधिवक्ताओं से टिकट की राशि से अतिरिक्त राशि वसूलने का। मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद से बिना मान्यता लिए कोई भी संघ अधिवक्ता संघ की परिभाषा में नहीं आता है।
ट्रस्ट बना लिया था
अधिवक्ताओं ने बताया कि तदर्थ कमेटी ने एक ट्रस्ट भी बना लिया था। इसमें सदस्यता के नाम पर 50 से ज्यादा वकीलों से 11-11 हजार रुपये जमा करवाए गए थे।
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