प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में पड़ने वाले जया पार्वती व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। भारत के पश्चिमी राज्यों और गुजरात में यह व्रत ज्यादा लोकप्रिय है। 5 दिनों तक चलनेवाले इस व्रत को महिलाएं परिवार की समृद्धि, शांति और कल्याण के लिए इस व्रत रखती हैं। इसके साथ ही कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस साल यह व्रत 1 जुलाई यानी शनिवार से आरंभ हो रहा है। इंदौर के पंडित प्रफुल्ल शर्मा से जानते हैं जया पार्वती व्रत का शुभ और पूजन विधि।
जया पार्वती व्रत: तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, जया पार्वती व्रत का आरंभ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से आरंभ होता है, जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को समाप्त होता है।
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 1 जुलाई, सुबह 1:17 बजे से शुरू
त्रयोदशी तिथि समाप्त – 1 जुलाई, रात 11:17 बजे तक
प्रदोष पूजा का मुहूर्त – 1 जुलाई, शाम 7: 23 बजे से रात 9:24 बजे तक
जया पार्वती व्रत समाप्त – 6 जुलाई, गुरुवार
जया पार्वती व्रत का महत्व
मान्यता है कि जो विवाहित महिला इस व्रत को रखकर विधिवत पूजा करती हैं, तो उसके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है। इसके साथ ही बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य और भविष्य का आशीर्वाद मिलता है। परंपराओं के अनुसार, जया पार्वती व्रत को लगातार पांच या सात वर्षों तक रखा जाता है। इसके बाद ही उद्यापन किया जाता है। जया पार्वती व्रत विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ व्रत को करने से युवा लड़कियों को मनचाहा पति और आनंदमय वैवाहिक जीवन मिलता है।
जया पार्वती व्रत : पूजा विधि
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सुबह उठकर स्नान करें और मां पार्वती का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। अब लाल कपड़ा पर शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और पंचोपचार विधि से पूजन करें।इस दौरान घी का दीपक जलाएं और जया पार्वती कथा सुनें। रोजाना बिना नमक सात्विक भोजन करें और शाम को विधिवत आरती करें। व्रत की समाप्ति पर पारण करें।
डिसक्लेमर
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