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झमाझम वर्षा से खिले किसानों के चेहरे 17 फीसद बोआई

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कोरबा। मानसून की सक्रियता ने जिले के किसानों की व्यस्तता बढ़ा दी है। एक जून से अब जिले में 984.4 मिलीमीटर वर्षा हुई है। पिछले चार दिनों के भीतर हुई 358.9 मिलीमीटर वर्षा ने धान की बोआई में तेजी ला दी है। जिले में 17 प्रतिशत बोआई पूरी हो चुकी है। जिन किसानों ने सूखा बोआई की थी उनके खेतों में अब धान की हरियाली दिखने लगी है। वर्षा का साथ रहा तो आगामी 15 दिन के भीतर खेतों में थरहा रोपाई का काम शुरू हो जाएगा।

मानसून ने किसानाें के लिए अनुकूल बोआई की राह खोल दी है। खरीफ वर्ष में इस बार जिला कृषि विभाग ने 97,040 हेक्टेयर में अनाज की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें 83,130 हेक्टयर में धान और 13,910 हेक्टेयर में कोदो, कुटकी, रागी और मक्का की बोआई को वरीयता दी गई है। धान के अलावा किसानों ने दलहन और तिलहन के बोआई की भी तैयारी शुरू कर दी है। धान के बदले अन्य फसल को बढ़ावा देने के लिए इस बार दलहन के रकबा को जहां 10 हजार 920 से बढ़ाकर 16 हजार 200 कर दिया गया है। वहीं तिलहन तिलहन के रकबा को 3,510 से बढ़ाकर 5,200 हेक्टेयर कर दिया गया है।

दलहन और तिलहन की बोआई धान बोआई के बाद होगी। बहरहाल कृषि विभाग की ओर इस बार धान खेती के लिए किसानों को रोपा व बोता विधि को अपनाने के लिए कहा जा रहा है। दोनों की विधि से खेती के लिए 9,157 हेक्टेयर में खेती की जा चुकी है। जिन किसानों ने सूखा बोआई किया था। उनके खेतों धान की हरियाली अब दिखने लगी है। जिले में ज्यादातर किसान रोपा विधि से खेती करते हैं। खास बात यह है कि थम-थम कर हो रही वर्षा से खेतों में पानी भराव की नौबत नहीं। ऐसे में किसानों के खेतों की जोताई कराने में आसानी हो रही है। आसमान में बदली के साथ वर्षा जारी है। वहीं उमस का असर भी बरकरार है। किसानों की माने तो लगातार वर्षा फसल के तैयार होने में बाधा होगी। वर्षा के अलावा धूप भी फसल को तैयार होने के लिए जरूरी हैं। बताना होगा कि बीते वर्ष की तुलना में इस बार मानसून की सक्रियता तेजी से बढ़ी है। गांव की गलियों के बजाए अब खेतों में लोगों की हलचल बढ़ गई है।

खाद और बीज के बढ़े दाम से खेती हुई महंगी

खाद और बीज के बढ़े दाम से खेती महंगी हो गई हैं। बीते वर्ष की तुलना में अनाज के बीज जैसे धान, कोदो, रागी कीमत में 10 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वहीं दलहन और तिलहन के दाम में आठ प्रतिशत की बढ़त हुई। जिला प्रशासन की ओर से गोबर खाद को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। जिले के 412 में 348 ग्राम पंचायतों गोठान की शुरूआत की गई है। खाद तैयार करने गोठानों की संख्या 100 से भी कम होने की वजह किसानाें को गोबर खाद से वंचित होना पड़ रहा। दूसरी ओर पेट्रोलिय के दाम बढ़ने से ट्रैक्टर से जुताई 1500 रूपये प्रति घंटा लिया जा रहा है। बीते वर्ष की तुलना में यह भी 10 प्रतिशत अधिक है।

जलाशयों में अब भी भराव में देरी

भले ही खेतों को बोआई के लिए वर्षा साथ मिल रहा है, लेकिन एक जून से अब तक हुई वर्षा जलाशयों के लिए पर्याप्त नहीं नहीं है। जिल के बड़ी परियोजनाओं में बांगो और दर्री के पानी का लाभ केवल करतला विकासखंड के किसानों को मिलता है। सिंचाई रकबा को बढ़ाने के लिए मायनर के 45 जलाशयों का निर्माण किया गया है। रामपुर, आमाखोखरा जैसे जलाशयों में जलभराव तो होता है लेकिन अभी तक नहर का निर्माण नहीं किया गया है। जिससे किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा। गेरांव, बेला, जुनवानी लबेद आदि जलाशयों का जल स्तर वर्षा काल में शून्य हो गया था। आगे चलकर मानसून कमजोर हुआ तो किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाएगी।

कम लागत में अधिक लाभ वाले फसल पर जोर

जिला कृषि विभाग की ओर से इस बार कम लागत में अधिक लाभ वाले फसलों पर जोर दी जा रही है। इनमें कोदो, रागी व मक्का शामिल है। कृषि विभाग के अधिकारी का कहना कि इन फसलों की बोआई के में किसानाें को कम लागत के साथ पानी की खपत कम होगा। मानसून की दगाबाजी के बाद भी किसानाें को पैदावार का लाभ मिलेगा। खासबात यह भी है कि धान को तैयार होने में छह माह लगता है। वहीं कोदो व मक्का चार माह में ही तैयार हो जाते है। धान के बदले इन फसलों को लगाने वाले किसानों को 10 हजार सहयोग राशि का भी सरकार ने प्रविधान किया है।

0 फसल क्षेत्राच्छादन हेक्टेयर में

फसल- लक्ष्य- पूर्ति

धान रोपा- 31,150- 3

धान बोता- 51980- 9,154

मक्का- 12,000- 94

कोदो- 1,110- 0

रागी- 271- 0

0 तहसीलवार एक जून से अब तक हुई वर्षा (मिमी में)

तहसील- वर्षा

कोरबा- 131.3

करतला- 215.8

कटघोरा- 290.9

दर्री- 122.7

पाली- 191.8

हरदीबाजार- 74.2

पोड़ी उपरोड़ा- 180.4

किसानों को जोताई व बोआई के लिए वर्षा का साथ मिल रहा है। खाद और बीज का भंडारण पर्याप्त मात्रा में किया जा चुका है। किसानों को जल संग्रहण के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

डीपीएस कंवर, सहायक उप संचालक, कृषि

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