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नहर या कूड़ादान

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सुरेन्द्र जैन धरसीवां

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है नरवा गरवा घुरुआ बारी यह देश ही नहीं अपितु दुनिया मे एक मात्र ऐंसी योजना है जिसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से यदि जमीनी स्तर पर सफलता का अमलीजामा पहनाया जाए तो छत्तीसगढ़ न सिर्फ आत्मनिर्भर होगा बल्कि छत्तीसगढ़ धरती का असली स्वर्ग दिखाई देने लगेगा बाबजूद इसके एक तरफ जहां राज्य सरकार इनके संरक्षण संवर्धन की दिशा में दिन रात लगी हुई है तो वहीं तन्त्र में बैठे कुछ लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों और जहां तहां कूड़ा कचड़ा फेंकने वाले लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और नहरों को भी कूड़ादान बनाने में पीछे नहीं रह रहे।


राज्य के विधानसभा भवन के करीब एक किलो मीटर की दूरी से गुजरने वाली गंगरेल से निकली मांढर मुख्य नहर शाखा को स्वार्थी तत्वों ने कूड़ादान में तब्दील कर दिया है।गेंदराम वर्मा शासकीय माध्यमिक शाला नरदहा के बाजू से निकली मांढर नहर शाखा के किनारे ही चिकन सेंटर व होटल भी मौजूद हैं और नहर में भारी कूड़ा कचड़ा पॉलीथिन विखरा पड़ा है देखकर ऐंसा लगता है जैंसे नहर नहीं यह कोई कूड़ादान हो।

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