एमबीबीएस की द्वितीय और तृतीय वर्ष की हिंदी में पुस्तकें एक साथ तैयार की जाएंगी। प्रथम वर्ष की पुस्तकें तैयार करने की जिम्मेदारी गांधी मेडिकल कालेज को दी गई थी, पर अब पुस्तकें तैयार करने के लिए एजेंसी का चयन किया जा रहा है। एजेंसी के साथ यह अनुबंध किया जाएगा कि उसे पुस्तकें कितनी मात्रा में और कब प्रकाशित करनी हैं। बता दें कि इसी वर्ष नवंबर से द्वितीय वर्ष की पुस्तकों की आवश्यकता पड़ेगी।
सितंबर तक पुस्तकें तैयार करने की तैयारी है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि द्वितीय वर्ष में पांच और तृतीय वर्ष में सात पुस्तकें लगती हैं। प्रथम वर्ष की तरह अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद कर पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। अनुवाद करने के लिए संबंधित विषयों के फैकल्टी की ड्यूटी लगाई गई है।
अनुवाद का काम लगभग छह माह से चल रहा है। संचालनालय के अधिकारियों ने यह भी बताया कि हिंदी पुस्तकों में अंग्रेजी के प्रचलित शब्दों को उसी रूप में स्पेलिंग के साथ लिखा जाएगा। उदाहरण के तौर पर मधुमेह को स्पेलिंग के साथ डायबिटीज लिखा जाएगा। विद्यार्थियों को प्रकाशक से पुस्तकें खुद खरीदनी होंगी। शासन की तरफ से सिर्फ कालेज के पुस्तकालय में हिंदी पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी।
बता दें कि प्रदेश में पिछले वर्ष से ही सरकारी कालेजों में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में हिंदी पुस्तकें तैयार कराई गई हैं, जिससे हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को पढ़ाई में आसानी हो। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के साथ हिंदी या मिलीजुली भाषा में प्रश्न के उत्तर लिखने की अनुमति है।
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