कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र-सीहोर जिला प्रशासन की अकर्मण्यता के कारण आपकी छवि भी खराब हुई
इज्तिमा में भी मंत्री जाम में फंसतेे हैं, लेकिन उसे कभी नहीं रोका गया: कैलाश विजयवर्गीय
– जनप्रतिनिधियों सहित आम जनता में भी गुस्सा, जिला प्रशासन पर हो कार्रवाई, हटाएं जाएं कलेक्टर-एसपी
सीहोर। से अनुराग शर्मा
जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित कुबेरेश्वर धाम पर 28 फरवरी से आयोजित होने वाली श्रीशिव महापुराण एवं रूद्राक्ष महोत्सव के पहले दिन के घटनाक्रम ने अब राजनीतिक रूप भी ले लिया है। जिला प्रशासन के दबाव के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजन को निरस्त करने की घोषणा के बाद हर तरफ से जिला प्रशासन एवं सरकार के खिलाफ जनप्रतिनिधियों एवं आम लोगों में गुस्सा भी सामने आया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर गुस्से का इजहार किया है। कैैलाश विजयवर्गीय ने लिखा है कि सीहोर जिला प्रशासन की अकर्मण्यता के कारण आपकी छवि खराब हुई है। भोपाल में भी हर वर्ष इज्तिमा का आयोजन किया जाता है और इसमें भी लाखों की तादाद में लोग आतेे हैं, जाम भी लगता है और मंत्री भी फंसतेे हैं, लेकिन इज्तिमा कभी नहीं रोका गया।
राष्ट्रीय महासचिव ने पत्र मेें यह भी लिखा है कि सीहोर जिला प्रशासन की अकर्मण्यता के कारण मेरे जैसे कई सनातनियों को आघात पहुंचा है। विगत 17 वर्षों से आप इस प्रांत के मुखिया हैं। आखिर ऐसी कौन सी विपदा आ गई थी कि पंडित प्रदीप मिश्रा पर इतना दबाव बनाया गया कि उन्हें भारी मन से कथा का समाप्त करना पड़ा। श्री विजयवर्गीय ने पत्र में लिखा कि शिवराजजी ऐसे अनगिनत सवालों के जबाव नहीं मिल रहे हैं। ये आपकी ही दूरदर्शिता थी कि अल्प समय में कुंडलपुर में आयोजित पंच कल्याणक महोत्सव इस सदी का अभूतपूर्व आयोजन रहा। आपके ही कार्यकाल में सिंहस्थ जैसा भव्य और दिव्य आयोजन हुआ। उन्होंने लिखा कि सीहोर जिला प्रशासन के कारण आपकी छवि पर भी असर पड़ रहा है। आपको यह सब अवगत कराने में भी कष्ट और पीड़ा हो रही है। सीहोर का प्रशासन इस तरह से निकृष्ट साबित होगा ये कल्पना से परे है।
प्रशासन की गलती की सजा शिव भक्तों को क्यों?-
राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि मेरे और आप जैसे सनातनी तो शिव के अनुयायी हैं। भगवान शिव ने जैसे विषपान किया वैसे हम भी लेंगे, किंतु शिवरात्रि के महापर्व पर देशभर से आए शिव भक्तों की क्या गलती थी। गलती तो शुद्ध रूप से सीहोर प्रशासन की है। सीहोर जिला प्रशासन को पंडित प्रदीप मिश्रा जी से माफी मांगना चाहिए।
प्रदेश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ: कमलनाथ
पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा व्यास गादी से कथा निरस्त करने की घोषणा को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी ट्वीट किया हैै। ट्वीट पर उन्होंने कहा है कि एक कथावाचक को आंखों में आंसू भरकर व्यासपीठ से इस सच्चाई को श्रद्धालुओं को बताना पड़े तो इससे शर्मनाक प्रदेश के लिए कुछ और हो नहीं सकता। जो खुद को धर्मप्रेमी बताते हैं यह है उनकी सरकार की हकीकत। बड़ी संख्या में श्रद्धालु नाराज, प्रदेश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। कमलनाथ ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या, शिवराजजी की सरकार, शिवराजजी का क्षेत्र और शिव ज्ञान की गंगा बहाने वाले शिव महापुराण व रूद्राक्ष महोत्सव का 7 दिवसीय महाआयोजन दबाव डालकर पहले दिन ही स्थगित करा दिया गया, क्योंकि प्रशासन लाखों श्रद्धालुओं की व्यवस्था संभालने में असफल साबित हुआ।
धर्म के कार्य में प्रशासन बना रोड़ा: रमेश सक्सेना
सीहोर के पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ नेता रमेश सक्सेना ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा महाशिवरात्रि के पर्व पर शिवपुराण कथा का आयोजन किया गया था। इसकी 15 दिनों से तैयारियां चल रही थी, लेकिन प्रशासन द्वारा शिवपुराण कथा को निरस्त करा कर हिंदू समाज का घोर अपमान किया गया है। पूर्व विधायक रमेश सक्सेना ने प्रशासन की घोर निंदा की है। उन्होंने कहा कि जब 15 दिनों से शासन एवं प्रशासन को मालूम था कि 10 से 15 लाख लोग आएंगे और तैयारियां भी चल रही थी, तब प्रशासन सो रहा था। जब पूरे देश से लोग कथा सुनने सीहोर पहुंच गए तो अचानक प्रशासन की नींद खुली और कथा का कार्यक्रम निरस्त करवा दिया। ऐसा तो अंग्रेजों के समय भी नहीं होता था कि कोई धर्म का कार्यक्रम शुरू होने के बाद निरस्त किया गया हो। पंडित प्रदीप मिश्रा ने सीहोर एवं देश का गौरव, सम्मान बढ़ाया है, लेकिन सीहोर प्रशासन ने पूरे देश से आई माताओं-बहनों एवं अंतर्राष्ट्रीय संत का घोर अपमान किया है।
धार्मिक आयोजन का रुकना दुर्भाग्यपूर्ण: बलवीर तोमर
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बलवीर तोमर का कहना है कि शासन और प्रशासन को मालूम था कि 10 से 15 लाख लोग सीहोर आएंगे और तैयारियां भी चल रही थीं, लेकिन प्रशासन ने तैयारियां भी नहीं की। इसके लिए शासन जिम्मेदार है। इस तरह का धार्मिक आयोजन का रूकना दुर्भाग्पूर्ण है। लोगों की धार्मिक आस्था के साथ ये खिलवाड़ हुआ है। अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
अप्रत्याशित भीड़ के कारण यह निर्णय लेना पड़ा: अरोरा
प्रशासन और पंडित जी की उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए थे। अप्रत्याशित भीड़ होने के कारण इस धार्मिक आयोजन को स्थगित किया गया है। इसमें प्रशासन और आयोजन समिति के लिए इस भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया था। आगे से इस तरह के आयोजनों से पहले पूरी तरह तैयारी करनी होगी। पूरे देश के श्रद्धालुओं की आस्था इस आयोजन से जुड़ी हुई थी। आगे सभी को ध्यान रखना चाहिए।