विश्व पृथ्वी दिवस विशेष::हम सब यह संकल्प लें कि हम लालची नहीं बने उतना ही लें जितनी जरूरत-आलेख – डॉ. सीमा सोनी
आलेख
डॉ. सीमा सोनी
आज विश्व पृथ्वी दिवस है, हम सब को धरती माता ने जगह दी ,,, लेकिन आज हम सब देख रहे है की मानव समाज ने इसकी बर्बादी ज्यादा की, विश्व समाज ने प्रकृति का दोहन इतना ज्यादा कर दिया कि वह आज संकट में है। हमारी कई वनस्पतियां विलुप्त हो गई हैं, कई प्रजातियां आज दिखाई नहीं देती । यहां तक की आंगन में गौरैया भी नदारद हो गई है । अतः पृथ्वी दिवस पर हम सब यह संकल्प लें कि हम लालची नहीं बने उतना ही लें जितनी जरूरत है। अगर इस बात को हम सब अपने जीवन में अपना लें तो पृथ्वी की रक्षा हम कर सकते हैं । हमारी संस्कृति में तो धरती को मां कह कर बुलाया जाता है । आज उसी मां की गोद की नदियां सूख रही है, पहाड़ टूट रहे हैं, धरती फट रही है ,झरने सूख रहे हैं। समंदर की वनस्पतियां भी नष्ट हो रही हैं । कई तरह के जीव जंतु अब दिखाई नहीं देते। अतः आज पृथ्वी दिवस पर हम संकल्प लें कि हम धरती मां की रक्षा करेंगे । हम उसी की गोद में खेले बड़े हुए तो फिर उसकी रक्षा क्यों न करें ? खूब पेड़ लगाइए! बगीचा बनाइए। जगह कम हो तो छोटे-छोटे गमलों में लगाइए पर इस वसुंधरा को हरा भरा बनाइए । आज हम सब यही संकल्प लें कि हमारी पृथ्वी को, हमारी इस वसुंधरा को हम हरियाली की चादर उड़ाएंगे ।