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बालमन को बेहतर ढंग से समझने के लिए फिर से पढ़ाई करेंगे शिक्षक

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भोपाल! बच्चे मन के सच्चे होते हैं। जब तक उनके मनोभाव को शिक्षक न समझें, तब तक उनके कंठ में शिक्षा व संस्कार को उतार पाना संभव नहीं है। स्कूल शिक्षा विभाग ने उनके मनोभाव को समझने के लिए एक पाठ्यक्रम शुरू किया है। यह एक वर्ष का प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा पर डिप्लोमा (ईसीसीई) पाठ्यक्रम है। इसका संचालन अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से किया जा रहा है। पहले चरण में हर जिले के दो-दो शिक्षक को चुना गया है। इस तरह करीब 100 से अधिक शिक्षकों को पाठ्यक्रम के लिए चुना जा चुका है। यह प्रयास इसलिए भी किया जा रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सरकारी स्कूलों में प्री-प्रायमरी की कक्षाएं शुरू की जा रही हैं। इसके लिए शिक्षकों को बालमन की मनोदशा को समझना जरूरी है।

17 अप्रैल से पढ़ाई शुरू करेंगे चुने गए शिक्षक

इसमें पहला चरण 17 से 22 अप्रैल तक होगा। इस दौरान राजधानी में कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा आनलाइन कक्षाएं भी लगेंगी। हर जिले से दो-दो शिक्षकों का चयन किया गया है। राजधानी के प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ा की प्राथमिक शिक्षक रिजवाना और शासकीय उमावि स्टेशन क्षेत्र के शिक्षक गजेंद्र सिंह नरवरिया का इस पाठ्यक्रम के लिए चयन हुआ है।

क्यों जरूरी है यह ईसीसीई पाठ्यक्रम

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ईसीसीई का पाठ्यक्रम बीएड और डीएलएड से अलग है। इसमें आठ साल के ऊपर के बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए, इस संबंध में जानकारी दी जाती है, जबकि अब प्री-प्रायमरी कक्षाओं में तीन साल के ऊपर के बच्चों का प्रवेश लिया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब तीन से छह साल के बच्चों का प्राथमिक स्तर बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। उसे समझने के लिए यह पाठ्यक्रम अनिवार्य है।

पांच जिले में 1415 स्कूलों में प्री-प्रायमरी कक्षाएं

प्रदेश के पांच जिलों में 1415 सरकारी स्कूलों के अलावा 72 सीएम राइज स्कूलों में प्री-प्रायमरी कक्षाएं वर्तमान में संचालित की जा रही हैं। इन कक्षाओं में तीन साल से प्रवेश लिया जा रहा है। अभी तक सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में छह साल की उम्र से प्रवेश लिया जाता था।

प्रदेश के 1415 सरकारी स्कूलों में प्री-प्रायमरी की कक्षाएं शुरू की गई हैं। इस कारण तीन साल से आठ साल के बच्चों को समझने के लिए शिक्षकों को ईसीसीई पाठ्यक्रम करवाया जा रहा है, ताकि वे बच्चों की मनोदशा को समझकर उन्हें सिखा सकें।

-धनराजू एस, संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र

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