उज्जैन । धर्मधानी उज्जैन में मंगलवार से सिहोर के प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की श्री विक्रमादित्य राजा महाकाल शिवमहापुराण कथा का शुभारंभ हुआ। पहले ही दिन पं. मिश्रा के श्रीमुख से कथा सुनने के लिए करीब पांच लाख भक्त उज्जैन पहुंचे। पंडाल में सबसे आगे बैठने के लिए श्रद्धालुओं ने सोमवार रात से ही डेरा जमा लिया था। आने वाले दिनों में भक्तों की संख्या और भी बढ़ने का अनुमान है। पं. मिश्रा ने कथा का शुभारंभ भगवान महाकाल व ओंकारेश्वर का स्मरण करते हुए किया। इसके बाद उन्होंने उज्जैन की महिमा का गुणगान करते हुए सम्राट विक्रमादित्य व राजा भर्तृहरि का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि उज्जैन की पुण्य धरा पर श्री शिव महापुराण कथा सुनने का विशेष महत्व है। पं. मिश्रा 10 अप्रैल तक प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक भक्तों को कथा सुनाएंगे।
उज्जैन में पंचक्रोशी का महत्व, पैदल चलोगे तो पुण्य मिलेगा
पं. मिश्रा ने कथा की शुरुआत में कहा कि मैंने सुना है भक्तों को कथा स्थल तक पहुंचने के लिए लंबा पैदल चलना पड़ रहा है, तो चिंता मत करिए। यह व्यवस्था प्रशासन ने नहीं की है, भगवान महाकाल ने यह व्यवस्था करवाई है। क्योंकि उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा करने का विशेष महत्व है। अगर आप सात दिनों तक पैदल चलकर कथा सुनने आएंगे तो पंचक्रोशी यात्रा करने का पुण्य फल प्राप्त होगा।
पंडाल फुल, भक्तों ने कपड़े की छांव में बैठकर सुनी कथा
आयोजकों ने करीब तीन लाख स्कवेयर फीट में पंडाल लगाया है। बावजूद मंगलवार को कथा शुरू होने से एक घंटे पहले ही पंडाल फुल हो गया था। जो भक्त देरी से आए उन्हें स्थान नहीं मिला, इस पर कुछ श्रद्धालु धूप में ही गमझा डालकर जमीन पर बैठ गए। कुछ श्रद्धालु कथा स्थल के आसपास पेड व वाहनों की छांव में बैठकर कथा सुनते दिखाई दिए।
भोजन का विशेष इंतजाम
आयोजकों ने कथा पंडाल के सामने रोड के दोसरी ओर भोजन शाला का निर्माण किया है। यहां भक्तों के लिए भोजन की विशेष व्यवस्था की गई है। पहले दिन भक्तों को सब्जी, पूरी, दलिया, दाल चावल परोसे गए।
नो व्हीकल जोन में ठेले पर बैठकर कथा स्थल पहुंच रहे श्रद्धालु।
यह कमियां भी रहीं
कथा स्थल के समीप रखे अस्थाई शौचालय। कथा सुनने के लिए देशभर से पांच लाख भक्त उज्जैन पहुंचे हैं। इनमें से अधिकांश कथा पंडाल में रह रहे हैं। इन श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालय का इंतजाम नहीं है। कई श्रद्धालु खुले में शौच करने को मजबूर हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि आयोजन समिति व प्रशासन को अस्थाई शौचालय का निर्माण करना चाहिए।
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