भोपाल लोकायुक्त पुलिस की कार्यवाही
भोपाल। जेपी अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ जगदीश सूर्यवंशी को लोकायुक्त पुलिस ने 2000 रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। यह कार्रवाई शिवाजी नगर स्थित उनके निवास पर की गई। डॉक्टर ने नगर निगम के एक सुपरवाइजर को तीन महीने का अनफिट सर्टिफिकेट देने के एवज में सुरक्षा गार्ड के जरिए रिश्वत मांगी थी। पांच महीने पहले ड्यूटी के दौरान हुए हादसे के बाद से सुपरवाइजर की कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था।
कोलार क्षेत्र में रहने वाले 58 वर्षीय श्रीधर ताड़गे नगर निगम की विद्युत शाखा में सुपरवाइजर हैं। लोकायुक्त निरीक्षक मनोज मिश्रा के मुताबिक जुलाई 2014 में हुए एक हादसे के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बेड रेस्ट की सलाह दी थी। कुछ दिन पहले मैनिट में पीएचडी कर रहा उनका बेटा प्रशांत तनख्वाह के लिए आवेदन करने नगर निगम पहुंचा। यहां अफसरों ने अनफिट सर्टिफिकेट मांगा। इसके लिए प्रशांत ने जेपी अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर जगदीश सूर्यवंशी से मुलाकात की।
सूर्यवंशी ने प्रशांत को अस्पताल में तैनात सुरक्षागार्ड संतोष नारपुरे से मिलने को कहा। संतोष ने प्रशांत को 1000 रुपए महीने के हिसाब से सर्टिफिकेट दिलवाने की बात कही। अंत में सौदा सात सौ रुपए महीने के हिसाब से 2100 रुपए में तय हुआ। मंगलवार को प्रशांत ने इसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की थी।
श्रीधर ने बताया कि बीती 11 जुलाई को सेंट मेरी स्कूल के पास संकरी गली होने के कारण निगम की हाइड्रोलिक गाड़ी पोल तक नहीं पहुंच पा रही थी। यहां लैंप लगाया जाना था। सीढ़ी के जरिए पोल पर चढ़े तो पैर फिसलने से नीचे आ गिरे। हादसे में कमर के निचले हिस्से में गंभीर चोट आई। इलाज में काफी रकम खर्च हो चुकी थी। तनख्वाह के लिए प्रशांत को भेजा तो निगम अफसरों ने अनफिट सर्टिफिकेट मांग लिया। सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर डॉक्टर भी रिश्वत मांगने लगा।
प्रशांत ने बताया कि सर्टिफिकेट लेने के लिए डॉक्टर ने उसे जेपी अस्पताल बुलाया था, लेकिन एक रिश्तेदार के घर से लौटने में उन्हें वक्त लग गया। इसलिए डॉक्टर सूर्यवंशी ने रिश्वत लेने के लिए उसे अपने घर पर ही बुला लिया। बुधवार रात 8 बजे प्रशांत ने डॉक्टर के 110/1, शिवाजी नगर स्थित निवास पर तय रकम अदा की। लोकायुक्त की टीम ने डॉक्टर को धर दबोचा।