गुलाल बनाने के लिए अरारोट पाउडर के साथ प्राकृतिक रंगों के अर्क को मिलाया जाता है। चुकंदर से गुलाबी रंग, पालक भाजी से हरा रंग और हल्दी व गेंदा से पीला रंग बनाया जाता है। जिले में बड़ी मात्रा में पाए जाने वाले पलाश के फूलों से नारंगी रंग बनाया जा रहा है।
पिछले दो सालों से कृषि विज्ञान केंद्र से जनजातीय उपयोजना अंतर्गत प्रशिक्षित व वित्तीय सहायता प्राप्त स्व-सहायता समूह की महिलाएं होली पर्व के लिए हर्बल गुलाल का निर्माण कर रही हैं। आज राधा कृष्ण स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कलेक्टर अजीत वसन्त को हर्बल गुलाल और अन्य सामग्री भेट की। अभी तक इन महिलाओं ने करीब दो क्विंटल गुलाल तैयार किया है। जबकि ट्राइफेड रायपुर के आउटलेट में बिक्री के लिए 150 किलो गुलाल भेजा जा चुका है। खास बात यह है कि इस गुलाल को सब्जी-हल्दी और पलाश के फूल के रंग से तैयार किया गया है।
पिछली होली में भी समूहों ने 10 दिन में 45 से 50 हजार का मुनाफा कमाया था। महिला सदस्यों का कहना है कि धान फसल की कटाई के बाद उनके पास रोजगार के अन्य साधन उपलब्ध नही होने से वे घर में खाली रहती थीं। कई महिलाओं के परिवार की जीविका श्रम पर निर्भर है, लेकिन प्रतिदिन काम नहीं मिल पाता था। अब धीरे-धीरे हालत बदल रहे हैं। जिला प्रशासन भी गुलाल के विक्रय में सहयोग कर रहा है। महिलाओं ने बतया कि कृषि विज्ञान केंद्र ने ग्राम पालकी की राधा कृष्ण स्व-सहायता समूह का चयन किया। उन्हें गुलाल निर्माण की प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षित किया गया।
गुलाल बनाने के लिए अरारोट पाउडर के साथ प्राकृतिक रंगों के अर्क को मिलाया जाता है। चुकंदर से गुलाबी रंग, पालक भाजी से हरा रंग और हल्दी व गेंदा से पीला रंग बनाया जाता है। जिले में बड़ी मात्रा में पाए जाने वाले पलाश के फूलों से नारंगी रंग बनाया जा रहा है। महिलाओं का कहना है कि यह गुलाल चेहरे पर लगाने से त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा, बल्कि ठंडकता प्रदान करेगा। यह पूरी तरह से कैमिकल फ्री होने के साथ ही फूलों व सब्जियों से बने होने की वजह से यह त्वचा के लिए लाभदायक है। यह गुलाल शरीर के लिए पूर्णत हानि रहित एवं सभी उम्र के लोगो के उपयोग के लिए है।
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