आदेश में संशोधन की मांग
धीरज जॉनसन
दमोह:पॉलिटेक्निक कॉलेज के अतिथि व्याख्याताओं ने तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश पर, पुनर्विचार कर संशोधन करने के लिये मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन कलेक्ट्रेट में दिया।
पिछले कई वर्षों से न्यूनतम मानदेय के आधार पर सेवाएं दे रहे अतिथि विद्वानों/व्याख्याताओं को विभाग द्वारा जारी नियमों से भविष्य में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है इसलिये मानवीय संवेदनाओं को जाग्रत व प्रकाश में लाने का प्रयास भी किया गया।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि अतिथि विद्वानों के रिक्त पदों के आधार पर आगामी शैक्षणिक सत्र 2022-23 में 11 माह 30,000 रुपये के आदेश पर पुनर्विचार के साथ पूर्व की भांति 12 माह तक सेवाएं ली जाएं, अगर आगे अतिथि विद्वानों का चयन किया जाता है तो सिर्फ रिक्त पद के विरुद्ध या आमंत्रित अतिथि विद्वान के सेवा में उपलब्ध न होने पर ही अन्य को अवसर दिया जाए व भेदभाव न करते हुए नियमित कर्मचारियों की भांति ही अन्य लाभ प्रदान हों, साथ ही दस्तावेज सत्यापन की पुनरावृत्ति न होते हुए यदि पुलिस/न्यायालय में प्रकरण दर्ज है तो अंतिम निर्णय/दोषसिद्ध होने पर ही हटाया जाए, नियमित व्याख्याताओं का ट्रांसफर होने पर अतिथि विद्वान का पद समाप्त न हो,अगर भविष्य में चयन प्रक्रिया पोर्टल के माध्यम से प्रस्तावित हो तो उसमें नए आवेदकों को अवसर देना इसलिये भी उचित प्रतीत नहीं होता क्योकि इससे अनुभवी व्यक्ति बाहर हो सकता है जिसने लंबे समय तक न्यूनतम मानदेय पर कॉलेज में कार्य किया है।
भविष्य के खतरे को देखते हुए उच्च अधिकारियों/प्रतिनिधियों से संशोधित बिंदुओं पर पुनर्विचार व हितों की रक्षार्थ निवेदन पत्र अतिथि व्याख्याताओं द्वारा पहुंचाया गया है। इस अवसर पर पॉलिटेक्निक कॉलेज अतिथि व्याख्याता संघ म.प्र. की दमोह इकाई के संयोजक सुरेद्र कुर्मी, आदित्य जैन, गोविन्द अहिरवाल, जितेंद्र चौरसिया, सौरभ साहू, शुभ्रा श्रीवास्तव, प्रतिष्ठा शैलार, चंचल कोरी, विभा दुबे, भावेश पटेल, रविकांत राय, आलोक इत्यादि उपस्थित थे।