ग्वालियर। शहर के प्रमुख बाजार जयेंद्रगंज में शुक्रवार दोपहर एक कार आफत बनकर दौड़ी। भीड़ भरे इस बाजार में कार चालक तेज रफ्तार में कार दौड़ा रहा था, आगे धीमी गति में वाहन चल रहे थे। इसके बाद भी कार चालक ने ब्रेक नहीं मारे, पहले एक्टिवा फिर बाइक सवार को टक्कर मारी। करीब 20 फीट तक दोनों को घसीटता हुआ ले गया, इसके बाद भी कार नहीं रोकी। कार तब रुकी, जब डिवाइडर से टकरा गई। इस घटना में गनीमत रही, दोनों वाहन चालक बाल-बाल बच गए।शहर के अंदर इस रफ्तार पर लगाम जरूरी है, क्योंकि ऐसे वाहन चालक दूसरों के लिए खतरा बन रहे हैं। हाल ही में शहर के सबसे पाश इलाके सिटी सेंटर में भी ऐसी घटना सामने आई थी, जब बिना नंबर की कार चला रहे कार चालक को यातायात पुलिस के सिपाही ने रोका तो उसने सिपाही को टक्कर मारने की कोशिश की। लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन ऐसे वाहन चालकों पर सख्त कार्रवाई न होने की वजह से इनके हौसलें बुलंद हैं। पुलिस को ऐसे वाहन चालकों पर कार्रवाई करनी चाहिए। इंटरनेट मीडिया पर घटना के फुटेज वायरल- यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई है। इसका वीडियो फुटेज इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ है। इसमें स्पष्ट दिख रहा है कि किस तरह कार चालक ने दूसरों की जिंदगी खतरे में डाल दी।
परिवार की जिम्मेदारी मुझ पर है, मैंने मौत को करीब से देखा : दीपक
मेरा नाम दीपक पुत्र हरिज्ञान सिंह बाथम है। मेरी उम्र 30 वर्ष है और मैं सागरताल रोड स्थित मदनकुई इलाके में रहता हूं। प्रायवेट नौकरी करता हूं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी मुझ पर ही है। मैं अपनी बाइक से शुक्रवार दोपहर करीब तीन बजे लश्कर की तरफ जा रहा था। मैं नदीगेट से होता हुआ जयेंद्रगंज स्थित राजीव प्लाजा के ठीक सामने से गुजर रहा था। मेरे पीछे एक्टिवा पर देवेंद्र यादव सवार थे, वह मेरे ठीक पीछे चल रहे थे। तभी अचानक तेज रफ्तार में कार (एमपी07 ई 9597) आई और सीधे पहले एक्टिवा सवार अंकल की एक्टिवा में टक्कर मारी, फिर मेरी बाइक में कार ने टक्कर मारी। मुझे लगा जैसे 100 लोगों ने मुझे पीछे से उठाकर आगे फेंका हो। मैं उछलकर गिरा, बाइक और एक्टिवा को घसीटते हुए कार ले गई। कार चालक तो ब्रेक लगा ही नहीं रहा था, उसकी कार डिवाइडर से टकराकर उछली और फिर वहीं रुक गई। मुझे एक पल को लगा अब शायद नहीं बचूंगा, आंख के सामने अंधेरा छा गया। पीठ में तेज दर्द हो रहा था, मैं अचेत हो रहा था। आसपास के लोगों ने मदद की। करीब दस मिनट बाद मुझे समझ आया मेरे साथ क्या हुआ। अस्पताल पहुंचे, तब जान में जान आई। मुझे चोट लगी, लेकिन पुलिस ने बहुत ही सामान्य धाराओं में एफआइआर लिखी है। मुझसे दरोगा बोले- इतनी ही कार्रवाई होती है, मेडिकल रिपोर्ट आने पर देखेंगे। मेरा तो पूरा परिवार ही मेरे भरोसे है, आज इतना बड़ा हादसा हो गया। पुलिस ने इतने सामान्य तरीके से लिया, कार चालक थाने में ही सामने खड़ा था, उस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
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