Let’s travel together.
nagar parisad bareli

मेंहदी की खेती से कमाएँ मोटा मुनाफा

36

Mehendi Ki Kheti- मेहंदी को ‘हिना’ भी कहते हैं। हिना का मतलब ख़ुशबू होता है। ये मूलतः ईरानी पौधा है। भारतीय परिवेश में मेहंदी की एक अहम जगह है। सभी तीज-त्यौहार, शादी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से पहले महिलायें मेंहदी से अपने हाथ-पैरों को सजाती है। मेहंदी का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रसाधन और औषधि के रूम में होता है। बालों को काला और सेहतमंद बनाये रखने में भी इसे नेचुरल डाई की तरह इस्तेमाल किया जाता है। घरों में मेंहदी नाम की कोई चीज भी नहीं आती, लेकिन बाजार में अभी भी मेहंदी लगवाने का चलन कम नहीं हुआ है । यही कारण है कि अब भारत में खेती (Henna Cultivation in India) करने वाले किसानों का भी मुनाफा भी बढ़ता जा रहा है, क्योंकि मेंहदी की डिमांड (Demand of Henna) देश के साथ-साथ दुनियाभर में बनी हुई है । अभी भी इसकी खेती करके किसान काफी अच्छी आमदनी ले सकते है । आज हम आपको बताएँगे कि मेहंदी की खेती के किसान अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा कमा सकते है।

मेहंदी की खेती से किसान होंगे मालामाल, आयुर्वेद से लेकर कॉस्मेटिक तक सबमें काम आती है मेहंदी

मेहंदी का औषधीय महत्व

इसके साथ ही इसके अपने औषधीय महत्व है । मेहंदी के पत्तों, छाल, फल और बीजों का उपयोग अनेक दवाईयों में होता है। ये कफ़ और पित्तनाशक होती है। इसके फलों से नींद, बुखार, दस्त और रक़्त प्रवाह से जुड़ी दवाईयाँ बनती हैं तो पत्तियों और फूलों से तैयार लेप का कुष्ठ रोग में इस्तेमाल होता है। सिरदर्द और पीलिया के मामले में भी मेहंदी की पत्तियों का रस इस्तेमाल होता है। मेहंदी में लासोन 2-हाइड्रॉक्सी, 1-4 नाप्य विनोन, रेजिन, टेनिन गौलिक एसिड, ग्लूकोज, वसा, म्यूसीलेज और क्विनोन आदि तत्व पाये जाते हैं। पुराने समय ही गर्मियों में लू और धाप-ताप से हाथ-पैरों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये मेंहदी (Henna) लगाई जाती रही है ।

Henna farming- मेहंदी की खेती का व्यवसायिक महत्व

मेहंदी की खेती को व्यावसायिक फसल का दर्ज़ा हासिल है। राजस्थान के पाली को मेंहदी का हब माना जाता है । जहां दुनिया की सबसे मशहूर ‘सोजत की मेहंदी’की खेती, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग के बाद देश-विदेश में निर्यात किया जाता है । इसके अलावा मेहंदी की खेती देश के कई राज्यों में इसकी ठीक-ठाक खेती होती है ।

मेहंदी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु व तापमान

मेंहदी एक झाड़ीदार पौधा (Henna Plants) होता है, जो दिखने में तो चाय की तरह होता है, इसकी शाखाएँ काँटेदार, पत्तियाँ गहरे हरे रंग वाली और नुकीली होती हैं। इसके सफ़ेद फूल गुच्छों में खिलते हैं और उनके कई बीज होते हैं। एक बार मेहंदी लगाने के बाद कई साल तक इसकी फसल मिलती है। कम पानी वाले इलाकों में मेंहदी के झाड़ीदार पौधे खूब पनपते हैं। भारत में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ में मेंहदी की खेती के लिये सही मिट्टी और जलवायु होती है, हालांकि अभी भारत के कुल मेंहदी उत्पादन का 90% अकेले राजस्थान में ही उगाया जा रहा है.मेहंदी का पौधा शुष्क और उष्णकटिबंधीय हर तरह की जलवायु में अच्छी तरह विकास करता है । कम वर्षा वाले इलाकों से लेकर अधिक वर्षा वाले इलाकों में 30 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान के बीच इसका अच्छी क्वालिटी वाली पैदावार ले सकते हैं।

Henna farming- उपयुक्त मिट्टी का चयन मेहंदी की खेती में बहुत ज़रूरी –

मेहंदी की खेती करने के लिए बलुई मिट्टी उपयुक्त है । साथ ही इसकी खेती कंकरीली, पथरीली, हल्की, भारी, लवणीय, क्षारीय, परती, बंजर, अनुपजाऊ और बारानी ज़मीन लवणीय, क्षारीय हर तरह की भूमि पर भी हो जाती है । भूमि का पीएच मान 7.5 से 8.5 होना चाहिए. दरअसल, मेहंदी का पौधा शुष्क और उष्णकटिबंधीय हर तरह की जलवायु में अच्छी तरह विकास करता है।

क्या है मेहंदी की खेती करने का सबसे सही समय

मेहंदी की बुआई का सबसे सटीक समय फरवरी और मार्च के महीने में होता है. आप इसे सीधे बीजों द्वारा या इसके पौधे लगाकर खेती शुरू कर सकते हैं. खेत के अंदर मौजूद तमाम खरपतवार को उखाड़ कर फेंक दें. कल्टीवेटर से खेत में जुताई करने के बाद पाटा चला कर इसे समतल कर लें. इसके बाद मेहंदी की रोपाई करें।

खेत की तैयारी मेहंदी की खेती में कैसे करें –

जिस खेत में मेहंदी की खेती (Henna farming) करनी है उस खेत में मॉनसून की पहली बरसात के साथ 2-3 बार मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करके पाटा लगाएँ। ताकि गहरी जुताई से लाभ यह होगा कि मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाएँगे । जुताई से पहले खेत में 8-10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट डाल दें। इससे पैदावार अच्छी होती है। किसी किसी खेत में दीमक की बड़ी समस्या रहती है इसलिए दीमक नियंत्रण के लिए मिथाइल पाराथियॉन का 10 प्रतिशत वाला चूर्ण भी मिट्टी में मिलाना चाहिए।

बीजोपचार मेहंदी की खेती के लिए बहुत ज़रूरी

मेहंदी के पौधों की रोपाई से पहले जड़ों का बीजोपचार भी किया जाता है, ताकि कवक रोगों के कारण फसल को नुकसान ना पहुंचे । मेंहदी की जड़ों का बीजोपचार करने के लिये क्लोरोपाइरिफास या नीम-गोमूत्र के घोल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं ।

बुवाई का उपयुक्त समय –

मेहंदी की बुआई फरवरी-मार्च में करते हैं। पौधों की रोपाई का सही वक़्त जुलाई-अगस्त का है।

मेहंदी की खेती उपयुक्त बीज की मात्रा-

मेहंदी की खेती करने के लिए प्रति एक हेक्टेयर के लिए 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। नर्सरी में बुआई से पहले 10-15 दिनों तक लगातार मेहंदी के बीजों के पानी में भिगोकर रखा जाता है। इसके पानी को रोज़ाना बदलना चाहिए और फिर हल्की छाया में सुखाना चाहिए।

मेहंदी की खेती के अंतरण (spacing)

इसके बाद पौधों को लाइन के बीच 50 सेमी और पौध के बीच 30 सेमी की दूरी रखकर रोपाई कर दी जाती है।

मेहंदी की खेती के लिए नर्सरी व मेहंदी की रोपाई करना –

मेहंदी की व्यवसायिक खेती के किसान चाहें तो बीज या मेंहदी की कलम से भी पौधा तैयार कर सकते हैं । मेंहदी की जल्दी पैदावार के लिये कमल विधि से पौधे तैयार करना फायदेमंद रहता है । वहीं अगर आपको बीज से पौधा तैयार करना है तो सबसे पहले उन्नत किस्म के बीजों का अकुंरण और 3% नमक के घोल में बीज उपचार ज़रूर करना चाहिए । प्रति हेक्टेयर जमीन के हिसाब से मेंहदी के 50 से 60 किलोग्राम बीजों से पौधशाला तैयार कर सकते हैं । जब पौधा 40 सेमी से अधिक बड़ा हो जाये तो जड़ों से 8 सेमी की लंबाई के बाद पौधे की कटिंग की जाती है ।

सिंचाई के लिए बरतें विशेष सावधानी, मेहंदी की खेती न करें अधिक सिंचाई –

ICAR-KAZRI (Central Arid Zone Research Institute) से जुड़े कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली के विशेषज्ञों के अनुसार, सिर्फ़ मेहंदी की बुआई के वक़्त ही मिट्टी को अच्छी तरह से गीला होना चाहिए। इसके बाद मेहंदी की खेती में सिंचाई नहीं करनी चाहिए। इससे पत्तों के रंजक (रंगने वाले) तत्वों में कमी आ जाती है। लेकिन अधिक सूखा ग्रस्त इलाक़े वाली ज़मीनों में लागू नही होती। अगर भूमि बहुत सूखी है तो कम से कम एक सिंचाई ज़रूर कर दें।

मेहंदी की फसल की कटाई एवं पैदावार –

मेहंदी की शाखाओं के निचले हिस्से की पत्तियों को पीला पड़ने और झड़ने से पहले काट लेना चाहिए । मेहंदी की पहली कटाई मार्च-अप्रैल और दूसरी कटाई अक्टूबर-नवम्बर में ज़मीन से लगभग 2-3 इंच ऊपर से करनी चाहिए ।मेहंदी की बारानी फसल से औसतन 1200 से 1600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सूखी पत्तियाँ प्राप्त होती हैं। हालाँकि, शुरुआती तीन साल में पैदावार 500 से 700 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक भी रह सकती है। मेहंदी का बाग़ान 20 से 30 साल तक ख़ूब उपजाऊ और लाभप्रद रहता है।

मेहंदी की खेती से कम लागत में अधिक मनाफा

मेहंदी की खेती(Henna farming) करने में ज्यादा लागत नहीं आती है । कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिलता है । इसकी मांग पूरे समय रहती है । ग्राहक अपनी उपज को बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेच सीधा मुनाफा कमा सकते हैं भारत में पाली, राजस्थान को सबसे बड़े मेंहदी उत्पादक (Henna Production) का खिताब प्राप्त है । यहां मेंहदी की खेती के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग (Henna Processing) भी की जाती है. इसके लिये खुद किसान ही मेंहदी की पत्तियों का सूखा पाउडर (Henna Powder) बनाकर बेचते हैं। आज पाली जिले की करीब 40,000 हैक्टर जमीन पर मेहंदी की व्यावसायिक खेती (Commercial farming of Henna) की जा रही है, जिससे किसानों, व्यापारियों और संबंधित उद्योगों को सालाना 40 करोड़ रुपये की कमाई होती है । राजस्थान के पाली जिले में मेंहदी के 50 से 60 कारखाने मौजूद है, जहां मेंहदी की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग (Henna Business) करके अलग-अलग रूप में देश और दुनिया में निर्यात किया जाता है । इस फसल के खराब होने के चांसेस भी बहुत कम होते हैं । इससे किसानों को नुकसान भी नहीं होता है. औषधीय गुणों की वजह से मेहंदी की फसल जानवर भी नहीं खाते हैं ।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

तलवार सहित माइकल मसीह नामक आरोपी गिरफ्तार     |     किराना दुकान की दीवार तोड़कर ढाई लाख का सामान ले उड़े चोर     |     गला रेतकर युवक की हत्या, ग़ैरतगंज सिलवानी मार्ग पर भंवरगढ़ तिराहे की घटना     |     गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंज उठा नगर     |     नूरगंज पुलिस की बड़ी करवाई,10 मोटरसाइकिल सहित 13 जुआरियों को किया गिरफ्तार     |     सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर एसडीओपी शीला सुराणा ने संभाला मोर्चा     |     सरसी आइलैंड रिजॉर्ट (ब्यौहारी) में सुविधाओं को विस्तारित किया जाए- उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल     |     8 सितम्बर को ‘‘ब्रह्मरत्न’’ सम्मान पर विशेष राजेन्द्र शुक्ल: विंध्य के कायांतरण के पटकथाकार-डॉ. चन्द्रिका प्रसाद चंन्द्र     |     कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के छात्र कृषि विज्ञान केंद्र पर रहकर सीखेंगे खेती किसानी के गुण     |     अवैध रूप से शराब बिक्री करने वाला आरोपी कुणाल गिरफ्तार     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811