– राम भक्त हनुमान ने श्री राम के चरणों में विभीषण की कराई शरणागति
-नल और नील ने बनाया रामसेतु, लंका चढ़ाई करने समुद्र के पार हुई प्रभु श्री रामकी सेना
– अंगद रावण संवाद के दौरान अंगद का पैर भी नहीं उठा सके लंकापति रावण
सी एल गौर रायसेन
श्री रामलीला महोत्सव के चलते रामलीला के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शुक्रवार को रामलीला में स्थानीय कलाकारों द्वारा विभीषण शरणागतिसेतु बांध रामेश्वरम एवं अंगद रावण संवाद की मनमोहक लीला का मैदानी मंचन किया जिसे देखकर दर्शक खुश हुए । प्रस्तुत की गई लीला के अनुसार नीति पर चलने वाले रावण के भाई विभीषण लंकापति रावण के पास समझाने के लिए पहुंचते हैं और कहते हैं कि हे भाई आप अनीति के मार्ग पर मत चलो और दूसरे की स्त्री को वापस कर दो,यह ब्राह्मणों का काम नहीं है इधर रावण विभीषण से कहता है कि तुम मेरे ही भाई होकर मुझे ही ज्ञान बांट रहे हो ज्यादा ज्ञान देने की जरूरत नहीं है तुम मेरे भाई नहीं दुश्मनों की तरह व्यवहार कर रहे हो, जाओ उन्हीं तपस्वी के पास जाओ वही रहना अब लंका में तुम्हें कोई स्थान नहीं है ऐसा कहते हुए गुस्से में आकर रावण विभीषण को लात मारकर अपने घर से बाहर कर देते हैं। देखिए इस प्रसंग में इधर चिंतन मनन करते हुए विभीषण प्रभु श्री राम के पास आते हैं और उनसे शरण में रखने के लिए विनय करते हैं।
इधर भगवान राम हनुमान जी को भेजते हैं कि इनके पास जाओ इनका क्या कहना है क्या चाहते हैं, जिस पर हनुमान जी विभीषण के पास आते हैं और उन्हें सादर भगवान के पास ले जाते हैं और भगवान से कहते हैं कि आप के भक्त हैं आप प्रभु इन्हें शरण में रख लीजिए । इस प्रकार से प्रभु श्रीराम विभीषण को अपनी शरण में रख लेते हैं इसके पश्चात विचार विमर्श करने के उपरांत प्रभु श्री राम, लक्ष्मण, हनुमान, सारी राम सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र किनारे पहुंच जाते हैं यहीं पर रामसेतु बनाने की योजना बनाई जाती है नल नील और सारी वानर सेना मिलकर यहां राम सेतु का निर्माण करते हैं, जिससे भगवान लंका के उस पार जा सके परंतु सेतु बनाने से पहले भगवान शिव की रामेश्वरम की स्थापना करना जरूरी था इसके लिए कोई महान पंडित की आवश्यकता थी इस पर विभीषण ने प्रभु राम से कहा कि रावण ज्ञानी है उनसे बड़ा कोई पंडित नहीं है यहां रामेश्वरम की स्थापना के लिए आचार्य के रूप में रावण को बुलाया जाए। इस पर विचार करते हुए प्रभु श्री राम ने अपने प्रिय भक्त हनुमंत लाल जी से कहा कि रावण के पास जाओ और उन्हें आदर सहित यहां ले कर आओ, इधर प्रभु श्रीराम के वचन सुनकर हनुमंत लाल जी रावण के पास पहुंचते हैं और रावण से विनायक करते हैं कि हे ब्राह्मण देवता आपको हमारे प्रभु श्री राम ने आचार्य के लिए रामेश्वरम की स्थापना करने के लिए आमंत्रित किया है आप सादर चलिए।
यहां रावण कहता है कि मैं आचार्य की हैसियत से जाने तैयार हूं परंतु मेरी शर्त है कि अशोक वाटिका में सीता है उसे भी अपने साथ ले जाऊंगा क्योंकि किसी भी स्थापना के समय पुरुष के साथ स्त्री का होना अत्यंत आवश्यक है । जैसे ही सीता को ले जाएंगे वैसे ही तुम्हें यहां छोड़ कर जाना होगा इस शर्त को हनुमानजी मान जाते हैं और कहते हैं कि मैं आपको सीता जी को यहां वापस छोड़ कर जाऊंगा परंतु आप चलिए। इधर रावण और सीता जी रामेश्वरम स्थापना के समय वहां पहुंचते हैं आचार्य की हैसियत से लंकापति रावणविधि विधान से पूजा कराते हैं। इस दौरान भगवान राम राम सेतु स्थापना के लिए आचार्य स्वरूप रावण को दक्षिणा भी देते हैं तथा लंका पर विजय का संकल्प लेते हैं। इस प्रकार से रावण ने राम रामेश्वरम की स्थापना विधि विधान से कराई और वह वापस आ जाते हैं उधर सीता जी अशोक वाटिका में पहुंच जाती है । नल नील द्वारा राम सेतु का निर्माण किया जाता है इस पर श्री राम की सेना लंका के उस पार पहुंच जाती है अब रामलीला सुंदरकांड से होकर रामायण के लंका कांड में पहुंच गई है, इसी प्रसंग के अनुसार भगवान राम समुद्र के पार हो जाते हैं इसके पश्चात योजना बनाते हुए जामवंत और विभीषण से विचार विमर्श करते हैं कि अब क्या किया जाए रावण को किस प्रकार से संदेशा भेजा जाए जिस पर जामबंत ने भगवान राम से कहा कि आप अंगद जी को रावण के पास पहुंचाइए । श्रीराम से आज्ञा लेकर अंगद रावण के पास चल देते हैं यहां आकर लंकापति रावण और अंगद के बीच प्रसंग होता है आपस में एक दूसरे को ललकारते हैं और अंगद रावण से बार-बार
कहता है कि तुमने अच्छा नहीं किया सीता को वापस पहुंचाओ परंतु रावण बहस करता है बात आगे बढ़ती है इस समय अंगद भरी सभा में पैर जमा देता है और कहता है कि असली रावण हो तो इस पैर को उठा कर देखो क्योंकि अंगद के साथ भगवान श्री राम की असीम कृपा थी इस प्रकार से रावण अंगद का पैर भी नहीं उठा सका इस समय रामलीला में इस मनमोहक प्रसंग की आकर्षक लीला का मंचन देख कर बड़ी संख्या में मौजूद दर्शक खुश हुए हर हर महादेव, जय जय सियाराम के जय कारे रामलीला मैदान में लगाते हैं,इस दौरान रामलीला में रावण की भूमिका कैलाश तिवारी, विभीषण की भूमिका पंडित बद्री पाराशर, अंगद की भूमिका दौलत बैरागी ने निभाई।
रामलीला मे शनिवार को होगी लक्ष्मण शक्ति प्रसंग की आकर्षक लीला
रामलीला में शुक्रवार को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार लक्ष्मण शक्ति प्रसंग का आकर्षक लीला का मंचन कलाकारों द्वारा किया जाएगा, इस दौरान मेघनाथ अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा और लक्ष्मण जी से युद्ध करते करते अंत में ब्रह्मा शक्ति का उपयोग करते हुए लक्ष्मण जी को मूर्छित करेगा । इस समय की मैदानी लीला का मंचन देखने लायक होगा सभी धर्म प्रेमियों से रामलीला देखने एवं धर्म का लाभ उठाने की अपील मेला समिति द्वारा की गई है।