अमावस्या तिथि आमतौर पर एक दिनों की होती है लेकिन कई बार ऐसा संयोग बनता है कि अमावस्या और दूसरी तिथियां दो दिनों की हो जाती है। इस साल जनवरी और फरवरी में कुछ ऐसा ही संयोग बनने जा रहा है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि साख तौर पर सोमवार, मंगलवार और शनिवार की अमावस्या का काफी महत्व बताया गया है। इस दिन स्नान, दान व तर्पण करना बहुत ही पुण्यदायक और लाभदायक माना गया है। माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
मौनी और माधी अमावस्या अबकी बार 1 फरवरी दिन मंगलवार को लग रही है। इसके साथ ही मौनी अमाव्साय के साथ अबकी बार महोदय नामक दुर्लभ योग भी रहेगा। मंगलवार को अमावस्या होने से इसे भौमावती अमावस्या कहा जाएगा। लेकिन भौमवती अमावस्या इस दिन पूरे दिन नहीं रहेगी। तिथियों का ऐसा संयोग बन गया है कि सोमवार को ही अमावस्या लग जा रही है। यही वजह है कि अबकी बार माघ मास में सोमवती और भौमवती अमावस्या का अनोखा संयोग बना है।
मौनी अमावस्या तिथि की शुरुआत
पंचांग गणना के अनुसार, सोमवार 31 जनवरी को अमावस्या तिथि की शुरुआत दोपहर में 02 बजकर 19 मिनट पर हो जाएगी। अमावस्या तिथि को लेकर ऐसा माना गया है कि अगर सोमवार को सूर्यास्त से पहले कुछ पल के लिए ही अगर अमावस्या की तिथि लग जा रही है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन अच्छी बात यह है कि यह तिथि दोपहर के समय लग रही है, जिससे पितरों के कार्य भी किए जा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन दोपहर के समय अमावस्या तिथि लग रही हो, उस दिन पितृ पूजन और पितरों के नाम का तर्पण किया जाना चाहिए। जिस दिन सुबह में अमावस्या तिथि लग रही हो उस दिन अमावस्या में देव कार्य यानी देव पूजन का कार्य करना उचित होता है।