-पितृ पक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक
पितृ पक्ष आज से प्राम्भ हो रहे है। पितृ पक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है. विधिपूर्वक श्राद्ध करने से पितर तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि व संतान सुख आदि प्रदान करते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष के श्राद्ध यानी 16 श्राद्ध वर्ष के ऐसे सुनहरे दिन हैं, जिनमें व्यक्ति श्राद्ध प्रक्रिया में शामिल होकर ‘देव ऋण’, ‘ऋषि ऋण’ तथा ‘पितृ ऋण’, तीनों ऋणों से मुक्त हो सकता है.
12 साल बाद बना ऐसा संयोग
पितृ पक्ष 2022 संयोग पंचांग के अनुसार इस बार पितृ पक्ष में 10 सितंबर 2022 को प्रतिपदा और पूर्णिमा का श्राद्ध एकसाथ होगा. इस बार 16 दिन श्राद्ध होंगे. 16 सितंबर को सप्तमी श्राद्ध होगा. 17 सितंबर को तिथि क्षय होने की वजह से इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध नहीं होंगे. 18 सितंबर को अष्टमी का श्राद्ध किया जाएगा. मान्यता है कि पितृ पक्ष में मृत परिजनों की मृत्यु तिथि पर पिंडदान, तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. अगर तिथि याद न हो तो महालया अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या 2022) पर भी श्राद्ध जरूर करें, इससे उन्हें संतुष्टि मिलती है.
श्राद्ध में इन चीजों से रहें दूर
श्राद्ध के लिए दिन का समय बेहतरीन है. कभी गलती से भी रात के वक्त श्राद्ध न करें, माना जाता है कि रात राक्षसों का समय होता है.
श्राद्ध में मसूर की दाल, मटर, राजमा, काला उड़द, सरसो और बासी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए.
श्राद्ध में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन भी नहीं किया जाता.
श्राद्ध में नहाते समय तेल, उबटन का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
श्राद्ध के समय किसी भी तरह के शुभ काम को करने से बचना चाहिए. इसके अलावा नए कपड़ों की खरीदारी पर भी रोक होती है.
पंडितों के मुताबिक, श्राद्ध में बाल, दाढ़ी और नाखून काटने से भी बचना चाहिए.
श्राद्ध घर के आदमी को करना चाहिए, औरत को श्राद्ध नहीं करना चाहिए.
श्राद्ध में ब्राह्मणों को अगर भोजन करा रहे हैं तो उन्हें सोने, चांदी, कांसे या तांबे के बर्तन में ही खाना खिलाना चाहिए.