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पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती लगता है इन दिनों 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका तलाशने के लिए काफी व्याकुल हो रही हैं। यही कारण है कि कभी शराबबंदी को लेकर तो कभी अन्य मामलों को लेकर उनकी सक्रियता नजर आ जाती है। फिलहाल भाजपा की राष्ट्रीय और प्रादेशिक राजनीति में वे हाशिए पर हैं।
पिछले हफ्ते लगातार दो दिन जिस प्रकार से उन्होंने ट्वीट किए और मीडिया से चर्चा की तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा को पत्र लिखा और उसे वायरल किया गया, इसको देखकर यही कहा जा सकता है कि इन दिनों अपनी भावी राजनीति को लेकर उमा कुछ अधिक ही व्याकुल हैं और उनकी छटपटाहट साफ-साफ देखी जा सकती है। जहां तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सवाल है वे ही नहीं बल्कि अन्य सभी मुख्यमंत्री यह भलीभांति जानते हैं कि राज्यों के पास अब पेट्रोलियम पदार्थों पर वेट लगाने और आबकारी से ही राज्य को सर्वाधिक आय होती है, ऐसे में यदि कोई शराबबंदी जैसी जोखिम लेता है तो उसे सरकार चलाना और किए गये वायदों को पूरा करना काफी मुश्किल हो जायेगा। भाजपा की फायर ब्रांड नेता मानी जाने वाली उमा भारती ने एक बार फिर कमर कस ली है लेकिन अपने इस रुख पर वे कितने दिन कायम रहेंगी, यह उनकी अभी तक की राजनीतिक शैली को देखते हुए निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता। मीडिया से चर्चा करते हुए उमा की इस पीड़ा का इजहार ही हुआ कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें दो बार पद से हटाया गया। केंद्रीय मंत्री रहते जब उन्होंने गंगा पॉवर प्रोजेक्ट को लेकर केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दिया तब उनका केंद्र की नई मोदी सरकार में विभाग बदल दिया गया। हालांकि गंगा व रिवर इंटरलिंकिंग से जोड़े रखा गया। फिर मैंने गंगा की पैदल यात्रा करना चाही तो पार्टी से सहमति नहीं मिली, तब पांच साल के लिए राजनीति से अलग होकर यात्रा की जो 14 जनवरी 2022 को पूरी हुई। इसी प्रकार अक्टूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के समय एक व्यभिचारी और दो महिलाओं की मौत के आरोपी नेता को लेकर भाजपा ने सरकार बनाना चाही तो मैंने खुलकर विरोध किया इसलिए मुझे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया। अब वह शिवराज सरकार की आबकारी नीति को लेकर नशा-मुक्ति आंदोलन के लिए कदम उठाने वाली हैं और उन्होंने उन सब लोगों से जो पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी या अन्य किसी पद पर नहीं है, का आह्वान किया है कि वे उनके साथ आयें और आगामी 2 अक्टूबर गांधी जयंती को भोपाल की सड़कों पर शराबबंदी के लिए महिलाओं के साथ मार्च करें। उनका कहना है कि शिवराज सरकार की नई शराब नीति से उन्हें गहरा आघात लगा है, वे चाहती हैं कि सरकार नीति में संशोधन करे। नड्डा को पत्र लिखकर उन्होंने नशा-मुक्त समाज की स्थापना की तरफ ध्यान आकृष्ट कराते हुए लिखा है कि जब नशे का प्रभाव क्षीण हो जाता है तो व्यक्ति दूसरे नशे शुरु कर देता है। पंजाब की प्रगति और फिर नशे में उड़ते पंजाब की कहानियां सर्वविदित हैं मध्य प्रदेश भी एक प्रगति करता हुआ राज्य है और ऐसे में नशा-मुक्ति जैसी व्यवस्था लागू हो जायेगी तो प्रगति और बढ़ेगी। भले ही फिलहाल उनका आंदोलन मध्यप्रदेश में आबकारी नीति को लेकर है लेकिन उन्होंने जो कुछ कहा उससे यह भी साफ है कि असली पीड़ा उन्हें केंद्रीय नेतृत्व से हुई है क्योंकि मंत्रिमंडल का विभाग बदलना केवल नरेंद्र मोदी का विशेषाधिकार है। देखने वाली बात यही होगी कि उमा अपने ताजे रुख पर कितना कायम रहती हैं। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष नरेन्द्र सलूजा ने तंज किया है कि उमाजी प्रदेश की महिला विरोधी व जनविरोधी शराब नीति को लेकर दिल्ली दरबार से हस्तक्षेप की गुहार कर रही हैं, देखना होगा कि अब शिवराज जी उमाजी को पिछली बार की तरह जवाब देते हुए शराब और सस्ती कब करेंगे तथा घर-घर शराब पहुंचाने के और इंतजाम कब करेंगे………?
-लेखक राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार हैं।