–भाजपा और कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले कई नेता सीधी दे रहे हैं टक्कर
– निष्कासन की कार्रवाई से भी नहीं डरे निर्दलीय
शिवपुरी से रंजीत गुप्ता
शिवपुरी नगर पालिका परिषद के लिए 13 जुलाई को मतदान होना है इस बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा और कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा दी है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस बार शिवपुरी शहर के 39 वार्डों में से लगभग 10 से 15 वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशी जीत सकते हैं। यहीं नहीं इस बार कई वार्डों में सीधे तौर पर निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस जो प्रमुख राजनीतिक दल हंै इनके प्रत्याशियों को सीधे चुनौती दे रहे हैं। निर्दलीय प्रत्याशियों द्वारा भाजपा और कांग्रेस के घोषित उम्मीदवारों को सीधी टक्कर दिए जाने के कारण इस बार कई वार्डों में रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। निर्दलीय उम्मीदवार फ्रंट पर खेल रहे हैं और भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत बने हुए हैं। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि इस बार बड़ी संख्या में निर्दलीय पार्षद जीतकर आ सकते हैं।
निष्कासन की कार्रवाई से भी नहीं डरे-
शिवपुरी शहर में करीब 15 वार्ड में सत्ताधारी दल भाजपा से बगावत करने वाले नेता बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा से बगावत करने वाले ऐसे नेताओं पर पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के निर्देश पर कार्रवाई की गई। करीब एक दर्जन नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित भी किया गया है। निष्कासन की इस कार्रवाई के बाद भी भाजपा के असंतुष्ट नेता नहीं माने और निर्दलीय ताल ठोकते हुए भाजपा उम्मीदवारों पर भारी पड़ रहे हैं। यही हाल कांग्रेस का है यहां भी टिकट न मिलने से नाराज कई असंतुष्ट नेताओं ने सीधे तौर पर अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को चुनौती दी है। शहर के कई वार्डों में कांग्रेस छोड़कर चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय प्रत्याशी अपने ही नेताओं के लिए परेशानी दे रहे हैं।
अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय का रहेगा महत्वपूर्ण रोल-
शिवपुरी नगर पालिका के 39 वार्डों में यदि ज्यादा संख्या में निर्दलीय पार्षद जीत कर आए तो नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए इन निर्दलीय पार्षदों का महत्वपूर्ण रोल रहने वाला है। इस बार नपाध्यक्ष का चुनाव जीते हुए पार्षदों द्वारा ही किया जाना है। ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस बात को समझ भी रहे हैं इसलिए निर्दलीय ताल ठोकने वाले नेताओं पर दिखावटी कार्रवाई की गई जिससे भविष्य में इनका उपयोग नपाध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में किया जा सके लेकिन अब देखना यह है कि कितने निर्दलीय पार्षद चुनाव जीतते हैं और बाद में यह निर्दलीय अपने पुराना नेताओं का कहना कितना मानते हैं।