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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मैसूर में विश्व योग दिवस पर किया योग

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मैसूर।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को मैसूर में विश्व योग दिवस पर योग करते देख मुझे विश्वास हो गया है कि गीता में योगिराज कृष्ण ने जो कहा था वो मोदी जी पर अक्षरष: लागू होता है . श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय – 9 के 22 वे श्लोक ‘ अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते ।तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ॥का आशय यही है कि आज के युग में जो भक्त ,संन्यासी ,ज्ञानी अनन्य भाव से नारायण को आत्म रूप से जानते हुए मेरा निरंतर चिन्तन करते हुए मेरी निष्काम उपासना करते हैं । निरन्तर मुझमें ही स्थित उन परमार्थ ज्ञानियों का योग-क्षेम मैं चलाता हूँ । अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति योग है और प्राप्त वस्तु की रक्षा क्षेम है, उनके ये दोनों कार्य मैं करता हूँ ‘
ये अतिश्योक्ति या व्यंग्योक्ति नहीं है ,ये हकीकत है अन्यथा जब पूरा देश बंद रहा हो तब कोई पंत प्रधान इतने निश्चिन्त भाव से सार्वजनिक रूप से योग का प्रदर्शन करने का साहस नहीं जुटा सकता. ये साहस केवल मोदी जीजैसे कर्मयोगी के पास ही मुमकिन है .मोदी जी के कार्यकाल में योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली .योग के लिए एक दिन दुनिया ने तय कर लिया .और आज पूरी दुनिया में लोग योग के नाम पर अपनी देह को थोड़ा-बहुत कष्ट तो दे ही रहे हैं .देह को कष्ट देना और फिर उसके सहने योग्य बनाना ही योग का मकसद है ,जो पूरा हो रहा है.
योगिराज नरेंद्र मोदी को कलियुग का भारतीय योगिराज कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है,जिसे हो वो न कहे .मोदी जी की तरह कम से कम मै तो कटि संचालन नहीं कर सकता .अपने जमाने में मैंने भी खूब योग किये और सब तरह के योग किये. बाबा रामदास तो बहुत देर में आये.उनसे पहले तमाम महिर्षि ,आचार्य देश दुनिया को योग के जादू से आल्हादित कर चुके थे .मुझे लगता है कि इस देश की जनता की सहनशीलता के पीछे योग की ही शक्ति है जो बड़ी से बड़ी आपदाओं को हँसते-हँसते सह जाती है .मंहगाई का बड़े से बड़ा बोझ भी बिना किसी चिल-पों के उठा लेती है .मुझे लगता है कि मोदी जी ने बहुत पहले योग की शक्ति को भांप लिया था.इसीलिए बाबा रामदेव उनके वामांग दिखाई देने लगे थे. मोदी जी का वामांग अरसे से रिक्त पड़ा हुआ है .
योग की ही महिमा है कि बाबा राम राजमें देखते-देखते कहाँ से कहाँ पहुँच गए. पहले वे एक – दो उत्पाद बनाते और बेचते थे अब वे कुछ भी बेच सकते हैं. यहां तक कि देश भी ,गनीमत है कि मोदी जी ने किसी को देश बेचने नहीं दिया,देश के अलावा जो कुछ बेचा कुछ बेचा .योग की ही महिमा है कि देश की 80 करोड़ आबादी मुफ्त के अन्न के सहारे बीते कितने महीनों से चुपचाप ज़िंदा है .योग ने बसपा सुप्रीमों मया बहनजी को एकदम शांत चित्त कर दिया है . वे अब लगभग न के बराबर बोलती हैं .सियासत से उनका लगता है कि मोग भंग हो गया है .योग की इसे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है ?
सेना में भर्ती के लिए बनाई गयी विवादास्पद ‘अग्निपथ’ योजना पर देश व्यापी बंद के बावजूद अमल हो रहा है. अधिसूचना जारी कर दी है .अग्निपथ का विरोध करने वाले शायद अग्निपथ को सचमुच का अग्निपथ समझ बैठे और सड़कों पर आ गए,उन्हने पता नहीं चला है कि वे अंशकालिक सैनिक और पूर्णकालिक स्वयंसेवक बनाये जाने वाले हैं .वे कभी बेरोजगार नहीं होंगे,इन्हें तमाम युद्द लड़ने होने.उन्हें जान बूझकर लड़ाया जाएगा .लड़ाई-भिड़ाई में भाजपा और उसकी सरकार को बहुत मजा आता है .
मेरे लिए जाती तौर पर प्रधानमंत्री जी के अधिकाँश भाषण उबाऊ होते हैं ,लेकिन जब मोदी जी खुद योग करते हैं और उस पर बोलते भी हैं तब वे कर्कश नहीं लगते .मोदी ने कहा कि हमें योग को एक अतिरिक्त काम के तौर पर नहीं लेना है. हमें योग को जानना भी है, जीना भी है, अपनाना भी है, पनपाना भी है. जब हम योग को जिने लगेंगे तब योग दिवस हमारे लिए योग करने का नहीं बल्कि अपने स्वास्थ्य, सुख, और शांति का जश्न मनाने का माध्यम बन जाएगा.. मोदी जानते हैं कि कि योगा से समाज, दुनिया में शांति आ सकती है.दुनिया को शांति की सख्त जरूरत है .तीसरा विश्व युद्ध हम योग से ही जीतें लेंगे ,ज्यादा से ज्यादा अग्निवीरों की जरूरत पपडेगी हमें तो हम उनकी भर्ती कर ही रहे हैं .
योग की ही कृपा है कि मोदी जी कभी तनाव में नहीं रहते. वे कागज की नाव में रह सकते हैं लेकिन तनाव में नहीं. तनाव में रहें वे लोग जो ईडी सीडी की चपेट में हैं ,या जिनका लग्न नहीं हुआ है. मोदी जी तो सबसे निवृत्त होकर सियासत में हैं और वो भी एकाग्र भाव से कर रहे हाँ मुझे दिखाई दे रहा है कि मोदी जी राष्ट्रपति चुनाव भी हँसते-खेलते जीता लेंगे अपने प्रत्याशी को .अगला राष्ट्रपति भी येन केन कर्मयोगी ही होगा .विपक्षी योग नहीं करते इसीलिए देखिये राष्ट्रपति पद के लिए एक प्रत्याशी नहीं खोज पा रहे .करमजलों को कौन बताये कि इस काम में नाचीज सिद्धहस्त है .
मेरी स्पष्ट धारणा है कि भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में जहां सबके लिए अस्पताल ,डाक्टर ,दवाएं और आक्सीजन नहीं है वहां योग को वैकल्पिक पद्यति के रूप में मान्य कर लेना चाहिए,लेकिन जरूरत इस बात की भी है कि ये योग हरिद्वार के पतांजलि योग जैसा मंहगा ,पंचतारा योग न हो. बाबा तो एक -एक ग्राहक से हफ्ते भर के पचास हजार रूपये धरा लेता है .सरकार को योग के ऊपर टैक्स भी नहीं लगाना चाहिए .अग्निपथ योजना में योगियों को दस-बीस फीसदी का आरक्षण भी देना चाहिए .
भारत में एक बड़ी आबादी है जो पांच वक्त नियम से योग करती है लेकिन उसे सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है .जबकि योग की ही शक्ति है कि इस आबादी के युवा,किशोर पथरचौथ खेलने में माहिर हैं .सरकार को सेना और अर्ध सैनिक बलों को भी पथराव का प्रशिक्षण योग की ही तरह देना चाहिए .बहरहाल विश्व योग दिवस की शुभकामनाएं और बधाइयां .

न्यूज सोर्स-राकेश अचल जी की फेसबुक वॉल से

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