नरसिंहपुर। बोहानी वह संस्कार भूमि है जिसने मेरे जैसे हजारों लोगों को संस्कारित किया है। केवल बोहानी ही नहीं, पूरे इलाके का हर वह व्यक्ति मालक दादा चौधरी राघव सिंह का ऋणी है, जिसने उनकी महान दानवीरता के स्मारक विद्यालय में शिक्षा पाई है। मैं अपनी जन्मभूमि को सादर नमन करता हूं।
उक्त उद्गार पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर ने बोहानी में आयोजित उनके सम्मान समारोह के दौरान व्यक्त किए। सम्मान समारोह का आयोजन श्री श्रीधर को हिंदी जगत के सर्वोच्च सम्मान ‘साहित्य वाचस्पति’ की उपाधि से अलंकृत होने के उपलक्ष में किया गया था।विद्यार्थियों की जिज्ञासा को देखते हुए उन्होंने पत्रकारिता के अपने दीर्घ अनुभवों को साझा किया।
पौराणिक संदर्भों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद को खबरों का आदि संचारक कहा जाता है। लेकिन यह ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है कि संचारक के मन में हमेशा लोकमंगल का भाव होना चाहिए,जो नारद जी में था।
महाभारत के संजय का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संजय पल-पल की सूचनाएं अपने स्वामी को दे रहे थे,लेकिन सीखने की बात यह है कि इन सूचनाओं में उन्होंने अपनी तरफ से कोई मिलावट नहीं की। सूचनाओं का संप्रेषण उन्होंने जस का तस किया।
सूचना क्रांति के आज के दौर के खतरों के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि सूचना एकत्रित करते समय अत्यंत सावधानी रखी जानी चाहिए। सोशल मीडिया पर प्रसारित हर जानकारी सही हो, यह जरूरी नहीं है।
किताबों की सर्वकालिक उपयोगिता प्रतिपादित करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हमेशा से किताबें ही रही हैं, और आगे भी रहेंगी।
इस अवसर पर ख्यात पर्यावरणविद् डॉ अनंत दुबे ने विद्यार्थियों को पर्यावरण प्रदूषण के खतरों के प्रति आगाह किया। उन्होंने उन छोटे-छोटे कार्यों का उल्लेख किया जो विद्यार्थी पर्यावरण संरक्षण के लिए सहज ही कर सकते हैं।
इसके पूर्व पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय, बोहनी के प्राचार्य डॉ. तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया एवं विद्यालय की गतिविधियों की जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गई।
ग्राम बोहानी की सरपंच श्रीमती किरण शर्मा ने आभार प्रदर्शित किया।इस अवसर पर बोहानी एवं आसपास के प्रबुद्ध जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।