-400 मामलों का समझौते के माध्यम से हुआ निराकरण
रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट।
कोविड-19 के चलते लॉकडाउन की अवधि में रायसेन जिला न्यायालय में चैक बाउंस के हजारों प्रकरण बिना सुनवाई के लंबित व डम्प पढे हुए थे। किन्तु लॉकडाउन खुलते ही न्यायालयों में अन्य आपराधिक व सविल मामलों के साथ चैक बांउस के केसों की सुनवाई शुरू हुई। अंधिकाश मामलों में आरोपियों के विरूद्ध जमानतीय गिरफ्तारी वारंट व उन्हें फरार घोषित किया गया। परिणाम यह हुआ कि न्यायालयों में आरोपी उपस्थित होने लगे। गवाहियों होने लगी पर चैक बाउंस का अपराध जमानतीय व राजीनामा योग्य होने से एवं न्यायालयों का रूख समझोता कराने का होने से एवं राष्ट्रीय मासिक स्थाई लोक अदालत मध्यस्थता आदि के अधिकाधिक प्रयोग से पक्षकार एक मुश्त राशि देकर या मासिक त्रैमासिक, छमाही किश्तों में पैसे अदा करने की शर्त पर मुकदमें के दोनो पक्ष आपसी समझौते से मामलों का निराकरण करने लगे। अकेले न्यायिक मजिस्ट्रेट ग्राम न्यायाधिकारी एवं जिला रजिस्टार राजेश यादव के न्यायालय में ही एक वर्ष में 400 के लगभग मामलों का समझौते के माध्यम से निराकरण हुआ । परिणामतः लौ का मामलों में त्वरित निराकरण से न्यायालयों में विश्वास बढा और चैक बाउस के नये मामले प्रस्तुत करने में वृद्धि हुई। न्यायिक मजिस्ट्रेट ग्राम न्यायाधिकारी एवं जिला रजिस्टार राजेश यादव ने बताया कि न्याय की अंतिम आशा न्यायपालिका ही है।न्यायपालिका लोगो में जागरूकता लाने के लिये विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन विवाद समाधान हेतु परामर्श, विधिक सहायता, निःशुल्क अधिवक्ता व सहयोग न्यायालय शुल्क की वापसी, शमन शुल्क राशि की माफी आदि लाभदायक प्रावधानों से भी मामलों के समझौता करने के लिये लोगो को प्रेरित किया गया है।यहाँ तक यह भी देखने सुनने में आया है कि जैसे ही लोगो में न्याय के प्रति विश्वास बढा दोनो पक्ष के लोगो स्वयं न्यायालयों में समझौता कराने का आग्रह करने लगे।