दीपक कांकर
भोपाल। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह क्यो एयर इंडिया के प्रबंधन से नाराज हो गये। उन्होंने तल्ख अंदाज में क्यों ऐसा कहा कि टाटा प्रबंधन के हाथ में लेने के बाद एयर इंडिया की सेवा बेहतर हुई होगी, लेकिन ये मेरा भ्रम निकला।
दरअसल शिवराजसिंह चौहान को भोपाल से दिल्ली आना था, पूसा में किसान मेले का उद्घाटन, कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती मिशन की बैठक और चंडीगढ़ में किसान संगठन के प्रतिनिधियों से चर्चा करने का उनका कार्यक्रम निर्धारित था।उन्होंने
एयर इंडिया की फ्लाइट क्रमांक AI436 में टिकिट करवाया था, और सीट क्रमांक 8C आवंटित हुई। जब वह सीट पर जाकर पर बैठे तो, सीट टूटी और अंदर धंसी हुई थी। बैठना तकलीफदायक था।उन्होंने विमानकर्मियों से पूछा कि खराब सीट थी तो आवंटित क्यों की? विमानकर्मियों ने बताया कि प्रबंधन को पहले सूचित कर दिया था कि ये सीट ठीक नहीं है, इसका टिकट नहीं बेचना चाहिए। ऐसी एक नहीं और भी सीटें हैं।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री के साथ यात्रा के रहे सहयात्रियों ने आग्रह कर उनकी सीट बदल कर अच्छी सीट पर बैठ जाने को कहा लेकिन वे इसले लिए किसी और मित्र को तकलीफ न देकर टूटी सीट पर बैठकर ही दिल्ली तक की यात्रा की।
उन्होंने फेसबुक के अपने एकाउन्ट पर लिखा कि “मेरी धारणा थी कि टाटा प्रबंधन के हाथ में लेने के बाद एयर इंडिया की सेवा बेहतर हुई होगी, लेकिन ये मेरा भ्रम निकला।”
मुझे बैठने में कष्ट की चिंता नहीं है लेकिन यात्रियों से पूरा पैसा वसूलने के बाद उन्हें खराब और कष्टदायक सीट पर बैठाना अनैतिक है। क्या ये यात्रियों के साथ धोखा नहीं है?
क्या आगे किसी यात्री को ऐसा कष्ट न हो, इसके लिए एयर इंडिया प्रबंधन कदम उठाएगा या यात्रियों की जल्दी पहुंचने की मजबूरी का फायदा उठाता रहेगा।