सुरेंद्र जैन धरसीवां
आदि तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का निर्वाणोत्सव है.हजारों साल पूर्व अयोध्या के चौदहवें कुलकर राजा नाभिराय ओर महारानी मुरुदेवी के घर जन्म लेकर संसार को असी मसी कृषि ओर ऋषि का शुभ संदेश देने वाले आदि तीर्थंकर आदिनाथ भगवान ने कैलाश पर्वत अष्टापद से कठिन तपस्या करते हुए मोक्ष यानी निर्वाण को प्राप्त किया था.उन्ही के पुत्र चक्रबर्ती भरत के नाम पर इस देश का नाम आर्यावर्त से भारतवर्ष हुआ,भारतवर्ष ही नहीं अपितु संसार में जहां जहां भी आदि तीर्थंकर के अनुयायि हैं वह आदि तीर्थंकर का निर्वाणोत्सव हर्षोल्लास से मना रहे हैं,बाड़ी अतिशय क्षेत्र जहां करीब पौने तीन हजार वर्ष प्राचीन राजा विक्रमादित्य द्वारा प्रतिष्ठित आदि तीर्थंकर की महा अतिशयकारी बड़े बाबा की प्रतिमा विराजमान है वहां भी आज बड़े बाबा का निर्वाणोत्सव मनाते हुए बड़े बाबा का महा मस्तक अभिषेक किया गया.आचार्यश्री विद्यासागर जी के आशीर्वाद से बीते तेईस सालों से हर साल आदिनाथ अतिशय क्षेत्र में बड़े बाबा का महा मस्तक अभिषेक हो रहा है.तपस्वी आचार्यश्री के शिष्य ब्रह्मचारी अजय भैया जी के सानिध्य में भक्ति भाव से आदि तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का निर्वाणोत्सव धूम धाम से मनाया गया.देशभर से बड़ी संख्या में पहुंचे जैनी समाज के लोगो ने निर्वाणोत्सव पर बड़े बाबा को निर्वाण लाडू चढ़ाया और जलाभिषेक किया.यहां यह बताना लाजमी होगा कि बाड़ी अतिशय क्षेत्र में करीब पौने तीन हजार वर्ष प्राचीन बड़े बाबा आदिनाथ भगवान विराजमान हैं और यह क्षेत्र प्राचीन सनातन जैन धर्म संस्कृति से भरा पड़ा है राजा विक्रमादित्य ने बड़े बाबा की मूर्ति की प्रतिष्ठा कराई थी।