सोंडरा मे श्रीमद भागवत के षष्ठम दिवस उमड़ पड़ा भक्तों का सैलाब
सुरेंद्र जैन धरसीवा
सांकरा निको .महेंद्रा स्पंज एंड पावर लिमिटेड की ओर से आयोजित श्रीमद भागवत महापुराण के षष्ठम दिवस भागवताचार्य श्री विष्णुप्रसाद दीक्षित जी ने महारास का प्रसंग सुनाते हुए कहा महारास काम विजय लीला है कामदेव की चुनौती स्वीकार कर भगवान ने कामदेव को परास्त किया है।महारास रात्रि के समय हुआ एकांत में हुआ नदी किनारे हुआ सारी गोपियां हैं पुरुष रूप में कृष्ण स्केल हैं इतना होने के बाद भी कामदेव भगवान का मन डिगा नहीं सका और हार स्वीकार करके वहां से चला गया
आचार्यश्री ने कंश वध का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कंश का अर्थ है जो दूसरों का सुख छीन ले उसकी दो पत्नियां है एक का नाम अस्ति दूसरी का नाम प्राप्ति इसका अर्थ यह है कि जो जीवनभर केवल इसी में लगा रहे इतना तो मेरे पास हैं अभी मुझे इतना ओर प्राप्त करना है मानो वही कंश का दूसरा स्वरूप है सुख लेना चाहते हो तो पहले सुख देना सीखो सुख छीनने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता
आचार्यश्री ने रूक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि रूक्मणी से विवाह करने को शिशुपाल भी आता है और गोपाल भी पर रूक्मणी जी गोपाल का वर्ण करती हैं शिशुपाल यानी मां गोपाल यानी ग्वाला लोग सोचते हैं बच्चा मां के अधीन है लेकिन ये सत्य नहीं हैं मां बच्चे के आधीन होती है बच्चा जो चाहेगा मां को करना पड़ता है लेकिन गोपाल में उल्टा हैं गोपाल गाय के आधीन नहीं होता अपितु गाय गोपाल के आधीन होती है अर्थात अगर इंद्रियों के आधीन रहोगे तो रूक्मणी रूपी लक्ष्मी दूर होगी और इंद्रियां यदि तुम्हारे आधीन होंगी तो लक्ष्मी भी तुमसे स्नेह करेंगी यही रूक्मणी विवाह का तात्पर्य है।