उदयपुरा रायसेन।पचामा में चल रहे 58 वे श्री रामचरितमानस सम्मेलन में क्षेत्र के महान संत ब्रह्मलीन श्री राम बाबा जी, सुहागपुर के ब्रह्मलीन श्री मनमोहन जी मुद्गल, पूज्य संत श्री नित्यानंद गिरी जी की माता जी काशी वासी श्रीमती सावित्री देवी राजोरिया एवं मानव सम्मेलन के स्थाई श्रोता रहे स्वर्गीय श्री रमेश चंद्र श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि दी गई, स्वामी नित्यानंद जी ने कहा कि श्री राम बाबा और मुदगल जी हमेशा से मेरे स्नेही रहे , एवं बहुत ही विनोदी स्वभाव के थे दोनों ने क्षेत्र में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार एवं लोगों के कल्याण में अपना जीवन समर्पित किया है , महाराज जी ने कहा की रोज हजारों लाखों लोग इस संसार से जा रहे हैं परंतु याद केवल उन्हीं को किया जाता है जिन्होंने समाज एवं धर्म के लिए कार्य किया हैं आज हम इन सभी महापुरुषों को याद कर रहे हैं इसका कारण यही है, स्वामी नित्यानंद ने सत्संग में कहा कि मनुष्य की दुर्गति के तीन कारण है कंचन, कामिनी ,कीर्ति इन तीनों में जो फसता है वह नरक गमी होता है । उदाहरण देते हुए कहा कि विषय भोग खुजली के समान है जिस तरह खुजली होने पर उसको खुजलाने में सुख प्राप्त होता है परंतु वह और बढ़ती जाती है इसी तरह विषय भोगों में सुख के साथ-साथ इच्छा तीव्र होती है । और मनुष्य मार्ग से भटक जाता है, परमात्मा तक पहुंचाने के केवल तीन ही साधन है सत्संग, सेवा ,सुमिरन अगर जन्म मरण के बंधन से मुक्त होना चाहते हो तो सत्संग, सेवा ,और सुमिरन में अपनी उर्जा लगाओ ,। मंच संचालक सुरेंद्र कुमार शास्त्री ने कहा हमारा जीवन और सत्संग तभी सार्थक हो सकता है कि जब हम अपना जीवन का अधिकतम समय भागवत चर्चा एवं भगवान के चरित्र को सुनकर निकाले । कार्यक्रम के संयोजक चतुर नारायण रघुवंशी ने सभी ब्रह्मलीनों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि लोग हमसे पूछते हैं कि पचामा को 58 वर्ष सम्मेलन करते हुए क्या प्राप्त हुआ तो हम बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि हमें पूज्य सुमन जी के बाद परम त्यागी संत स्वामी नित्यानंद जी प्राप्त हुए, जिनकी कथनी और करनी एक समान है ऐसे पूज्य संत का हमारी सम्मेलन समिति के माध्यम से ग्राम एवं क्षेत्र वासियों को प्रतिवर्ष सत्संग सुनने को प्राप्त हो रहा है यह बड़े ही सौभाग्य का विषय है