तीन प्राचीन कलाकृति और धरोहर को स्वयं लेकर आए रानी दमयंती पुरातत्व संग्रहालय में
ग्रामीणों की सुनी समस्याएं, अधिकारियों को दिए निर्देश, बाइक से पहुंचे स्थल देखने
स्कूल शिक्षकों से कहा निर्धारित समय पर उपस्थित रहे, उल्लंघन पर होगी कार्यवाही
धीरज जॉनसन दमोह
कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने प्रात: ग्राम बरी कनौरा पहुंचकर स्कूल का निरीक्षण किया। उन्होंने शिव मंदिर जो ए.एस.आई. द्वारा प्रोटेक्टेड है, इसके अलावा वहाँ पर बड़ी संख्या में मंदिर और दूसरे स्ट्रक्चर्स देखे।
कलेक्टर ने कहा ऐसा लगता है, जो जनश्रुति है, जो लोग बोलते है, उसके अनुसार वहाँ पर एक पूरी सभ्यता, हो सकता है, पहले कभी हज़ारों साल पहले रही होगी और वहाँ पर उसके बहुत सारे अवशेष देखने को मिलते है। चार अलग-अलग द्वार बहुत खूबसूरत से देखने को मिले, दो अलग-अलग मड़िया देखने को मिली, जिसमें वेजीटेबल कलर्स के द्वारा पैंटिंग है और आज भी वो पैंटिंग सुरक्षित है। यहाँ पर ऐतिहासिक पुरातत्व महत्त्व की सामग्री का खजाना है और इसके लिए आज फिर आगे कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा पुरातत्व वालों को चिट्ठी लिखकर भेजी जायगी, ताकि अपनी टीम भेजकर यहाँ पर काम शुरू करायें। यह जिले के लिए एक बहुत बड़ी सौगात साबित हो सकती है।
कलेक्टर कोचर ने कहा वहाँ से तीन पुरातत्व सामग्री जिसमें एक बड़ी मूर्ति और एक पदचिन्ह और एक और छोटी मूर्ति, इस तरह की तीन मूर्तियां लेकर के आये है, जो ऐसे ही लावारिस वहाँ पर पड़ी हुई थी। अब उसके बारे में पुरातत्व वेद्ताओं से उसकी जानकारी ली जा रही है कि वो कितनी पुरानी है और कैसी है, विश्वास है कि वो बहुत ही ऐतिहासिक महत्त्व की मूर्तियां हैं, उनको सुरक्षित ला करके आज संग्रहालय में रखवा दिया है। जिले में जो पुरातत्व की धरोहरें हैं, उनको संरक्षित और सुरक्षित करने का काम लगातार किया जायेगा । उन्होंने कहा मुझे खुशी है की आज वहाँ पर कनोराकला में गांव वालों ने भी बहुत उत्साह के साथ 2-3 घंटे मेरे साथ रहे और सभी ने मुझे एक एक चीज़ दिखाई की कहाँ क्या है यहाँ पर, ग्रामीणों को बहुत अच्छा ज्ञान है वहाँ की चीजों का, तो इस आधार पर हमको काम करना चाहिए।
कलेक्टर भ्रमण के दौरान सुबह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक अंतर्गत ग्राम कनौरा पहुंचे और प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन करने के बाद ऊबड़-खाबड़ रास्ते, पगडंडी और खेतों से होते हुए प्राचीन कलाकृतियां, धरोहर, भग्नावशेष, कुएं, मढ़े और उनकी नक्काशी को निकट से देखा। कच्चे रास्तों पर ग्रामीणों के साथ बाइक पर बैठ कर अलग स्थानों पर पहुंचे, जहां कनौरा के ग्रामीणों ने सड़क एवं प्राथमिक विद्यालय खुलवाने की बात रखी। ग्राम डोलपुरा के प्राथमिक शाला में ग्रामीणों द्वारा पेयजय की समस्या से अवगत किया गया, प्राथमिक शाला फुरताल में ग्रामीणों द्वारा शिक्षकों के देर से आने की शिक़ायत की जिस पर कलेक्टर ने सार्थक एप से फुरताल के शिक्षकों की विगत छः माह की डिटेल उपलब्ध कराने हेतु फ़ोन पर ही एप प्रभारी को निर्देशित किया और डिटेल देखने के बाद कार्यवाही की बात की।
इतिहास की पुस्तक में दर्ज है कनौरा का गौरव
रायबहादुर हीरालाल द्वारा लिखित दमोह दीपक के अध्ययन से जानकारी मिलती है कि यह एक प्राचीन स्थल और शाहगढ़ के राजा की एक गढ़िया रही है, जिससे यह अंदाज लगाया गया कि यहाँ पहले बड़ा गाँव रहा होगा। यहाँ पर एक ऐसा मढ़ा है जो बारहवीं शताब्दी का बना ज्ञात होता है। इस ग्राम में प्राचीन सुन्दर मूर्तियां हैं, यहाँ सती के चीरे भी हैं, कुछ अन्य चीरे भी गड़े हैं जिनमें कई युद्ध चित्र हैं, एक बड़ा तालाब भी है।
कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर तीन घंटे से ज्यादा समय कनौरा में रहे और पगडंडी, खेत और कठिन रास्ते से होते हुए अलग-अलग स्थानों पर पहुंचे, जहां उन्होंने विभिन्न प्रतिमाएं, प्राचीन काल के निर्माण, खंडहर, दो अन्य सुरक्षित मढ़े, जिनकी दीवारों पर सुंदर कलाकृति और रंगबिरंगे चित्र अंकित थे, उन्हें देखा। साथ ही कुछ मढ़ों की बची हुई दीवारें, निचले तल, द्वार, पुराने कुएं भी देखें जिनका सर्वे कर संरक्षित करने की बात कही, साथ ही यहां वहां बिखरी तीन प्राचीन प्रतिमाओं को दमोह के संग्रहालय में सुरक्षित रखवाया।
वन भूमि पर कब्जे की बात भी ग्रामीणों के माध्यम से सामने आई, भ्रमण के दौरान बटियागढ़ तहसीलदार के कनौरा पहुंचने पर कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने आवश्यक निर्देश दिए।
ग्रामीणों ने बताया कि प्रदेश के अन्य जिलों से आए प्रवासी लोगों द्वारा बड़े स्तर पर कनोरा कलां ( सादपुर ) एवं आसपास की वन्य भूमि पर कब्ज़ा है जो कृषि भूमि में परिवर्तित हो रहे है। भ्रमण के दौरान तहसीलदार योगेन्द्र चौधरी मौजूद रहे।