-11.74करोड की लागत से पत्थर का भव्य शिव मंदिर का होगा निर्माण
-वापोली शिव धाम से मांगरोल घाम तक शोभायात्रा का हुआ भव्य संचलन
हजारों की संख्या में सम्मिलित भक्तगण
यशवंत सराठे बरेली रायसेन
बरेली से 10कि.मी.दूर भगवान शिव का सिध्द धाम वापोली में कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार 11नवमबर से 15 नवम्बर तक अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायक पर ब्रम्ह परमात्मा की असीम अनुकम्पा से पूज्य गुरुदेव श्री श्री 1008सच्चिदानन्दधन वापोली वालों एवं पूज्य ब्रम्हचारी महाराज जी के अमोघ आशीर्वाद से पूज्य श्री लालवावा जम्बूवाले महाराज की 14 बर्ष की कठिन साधना क्षेत्र संन्यास एवं 12 वर्ष के अखण्ड शिव रुद्राभिषेक श्री सहस्र रुद्रचण्डी के बार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य में छः दिवसीय सहस्र रुद्रचण्डी होमात्मक शिव रूद्राभिषेक का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।
वापोली धाम में होगा 11.47 करोड़ की लागत से भव्य शिव मंदिर का निर्माण जो एक नये युग की शुरुआत होगी भव्य मंदिर का निर्माण पत्थरों के द्वारा आर्किटेक्ट हरीश भाई सेलपुरा पालीताना गुजरात के द्वारा किया जाएगा।
वापोली धाम से मांगरोल तक ऐतिहासिक भव्य शोभायात्रा का ऐतिहासिक स्वागत —
शिवरुद्राभिषेक एवं शतचंडी महायज्ञ के पश्चात् ढोल धमाकों अखाड़ों,एवं शिव-पार्वती, देवी दुर्गा की सौन्दर्य झांकी के साथ विभिन्न भेष-भूषा में रंगे, राधाकृष्ण का मनोरम नृत्य 12 की संख्या में नृत्य करते श्वेत अश्वों का नृत्य इस भव्यता को समाहित कर शोभायात्रा निकाली गई जिसमें हजारों की संख्या में धार्मिक श्रद्धालु एवं संस्थाएं हिन्दू उत्सव समिति, राष्ट्रीय हिन्दू सेना, स्कूल के विद्यार्थियों के द्वारा पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया । भाईचारे कि मिशाल प्रस्तुत कर धार्मिक शोभायात्रा में मुस्लिम त्योहार कमेटी के साथ मुस्लिम भाइयों ने भी पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
इस भव्य शोभायात्रा में म.प्र.शासन के राज्यमंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल, पूर्व केविनेट मंत्री रामपाल सिंह राजपूत,पूर्व विधायक भगवान् सिंह राजपूत पूर्व विधायक देवेंद्र पटेल, नगरपरिषद अध्यक्ष हेमंत राजा भैया चौधरी एवं अन्य नेतागणों सामाजिक कार्यकर्ताओ ने पूजा-अर्चना कर स्वागत समारोह में शामिल हुए। इस भव्य शोभायात्रा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि जो लगभग एक किलोमीटर दूर तक अपना अलख जगा रही थी। जहां से भी शोभायात्रा का पदार्पण हुआ वहीं हर गांव में धर्मार्थी पलक-पावडे बिछाकर स्वागत हेतु आतुर दिखाई दे रहे थे। जगह-जगह टेन्ट लगाकर जलपान की व्यवस्था फूलों से पुष्पवर्षा की गयी।