-ताकतवर हो गए माफिया, वन, राजस्व और पुलिस पर हमले जारी
– बम्हारी खदान पर फारेस्ट टीम को धमकाने हो चुकी है फायरिंग
-अवैध पत्थर ,मुरम और रेत उत्खनन को सरकारी संरक्षण
-खनन के खेल में नेता माफि या और नौकरशाही का गठबंधन सक्रिय
संजय बेचैन शिवपुरी
शिवपुरी जिले में भी पड़ोसी जिले गुना से कहीं अधिक और कई गुना वन माफि या, खदान माफिया खुलेआम जंगलराज चला रहे हैं। यहां
फॉरेस्ट अमले से लेकर पुलिस तक पर हिंसक हमले हो चुके हैं। गत पखवाड़े ही बम्हारी खदान पर खदान माफियाओं ने दहशत फैलाने की गरज से 3 राउंड हवाई फायरिंग कर डाली थी और यहां अवैध रुप से उत्खनित कई ट्रक फर्शी पत्थर माफिया सरेआम उठा ले जाने में सफल रहा था। पिछले दिनों एक मशीन भी वन अमले ने पकड़ी तो वह एक मंत्री के नजदीकी की निकली जिससे अधिकारियों की फूंक सरक गई।
यहां जिले में राजस्व के अधिकारी भी पीटे जा चुके हैं। इन सब के बावजूद नेताओं के संरक्षण में चल रहा अवैध उत्खनन और डिफॉरेस्टेशन यहां रुकने का नाम नहीं ले रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई दिग्गज इस खनन के खेल में खुलेआम माफियाई अंदाज में सक्रिय हैं। जिन्हें वन विभाग और रेवेन्यू के भ्रष्ट अधिकारियों का खुला संरक्षण सत्ता प्रतिष्ठान के इशारे पर मिल रहा है।
प्रशासन के आला अधिकारियों की स्थिति यह है कि वह नेताओं के आगे मुंह खोलने की स्थिति में नहीं है, कार्रवाई तो दूर की बात। गुना में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना क्रम में तीन पुलिस कर्मियों की शिकारियों द्वारा की गई हत्या के मामले के बाद शिवपुरी के घटनाक्रमों को भी यदि संजीदगी से नहीं लिया गया तो यहां भी हालात गुना से बदतर होने में देर नहीं लगनी। फेस सेविंग के चक्कर में प्रदेश सरकार ने आनन.फ़ानन में ग्वालियर आईजी अनिल शर्मा को गुना के घटनाक्रम के केंद्र में रखकर तत्काल प्रभाव से पुलिस मुख्यालय स्थानांतरित कर दिया है जबकि वहां के एसपी और फारेस्ट के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई। आईजी ग्वालियर डी श्रीनिवास शर्मा नियुक्त किए गए हैं लेकिन इन तब्दीलियां से व्यवस्था का चेहरा बदलने जैसा कुछ हो पाएगा इसकी संभावना कम है। शिवपुरी में इस समय जो हालात हैं, वह बेहद चिंतनीय हैं यहां की डोंगरी, बम्हारी, झिरन्या, पतरौली, कंडउ, केनवाया, मोराई , अर्जुनगंवा , खेरोना, मझेरा पत्थर खदानों में ग्वालियर दतिया और शिवपुरी के अलावा अन्य जिलों के तमाम खनन माफि या नेताओं के खुले संरक्षण में अवैध खनन में जुटे हुए हैं। वन विभाग के मौजूदा अधिकारियों की मिलीभगत इस कदर है कि सैकड़ों बीघा जंगल रातों रात साफ कराया जा रहा है। माधव राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में भी आखेट किए जाने के कई घटनाक्रम सामने आ चुके हैं।
उधर करेरा नरवर क्षेत्र में रेत माफि याओं ने अधिकारी कर्मचारियों को एक तरह से बंधुआ बना कर रख छोड़ा है, जो खुलेआम अवैध रेत खनन करा रहे हैं इसमें मंत्री स्तर के नेताओं के नाम स्पष्ट रूप से जन चर्चा का विषय बने हुए हैं। वन विभाग के जो अधिकारी कर्मचारी कार्यवाही का कदम उठाते हैं उनके विरुद्ध पहले तो रेत माफि या और खदान माफि या हमलावर होते हैं और फि र विभाग के ही तथाकथित भ्रष्ट अधिकारी ऐसे कर्मचारियों को प्रताडि़त करने से नहीं चूक रहे। शिवपुरी में जबरदस्त अराजकता के हालात हैं यहां अफ सरों को खुलेआम हिस्सा बांटा जा रहा है। सत्ता से जुड़े नेताओं ने यहां मोरम खंडों से लेकर पत्थर और रेत खदानों पर कब्जा कर लिया है। यहां की नेतागिरी सिर्फ खदानों तक सिमटी हुई है फि र चाहे वह किसी भी गुट या किसी भी दल के नेता क्यों ना हो। जितने भी माफि या हैं वह इस समय अवैध खनन और डिफोरेस्टेशन में गुंडों की फौज लेकर अपना कारोबार संचालित कर रहे हैं। प्रशासन के अधिकारी इनके विरुद्ध कार्रवाई का साहस नहीं जुटा पा रहे क्योंकि उन्हें व्यवस्था से कहीं अधिक प्राइम पोस्टिंग से अधिक लगाव है।