देवेन्द्र तिवारी सांची,रायसेन
इस क्षेत्र में बरसों से ईंट भट्ठों का बोलबाला चल रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में जगह जगह ईंट भट्ठों ने वातावरण को प्रदूषित करना शुरू कर दिया है ।
जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र मे लंबे अरसे से ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट भट्ठों का चलन जोरशोर से चल रहा है जिससे खेतों की जमीन के साथ ही सरकारी भूमि की बलि चढ रही हैं इससे न केवल जंगलों से लकडिय़ों का सफाया मिली भगत कर चल रहा है तो वातावरण भी प्रदूषित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है इतना ही नहीं बिना अनुमति बडी बात मे ईंट भट्ठों को लोगों ने अपनी खासी कमाई का जरिया बना डाला ऐसा भी नहीं है कि इस सारे कारनामे की खबर प्रशासन मे बैठे लोगों को न हो ।परन्तु इस कारनामे के पीछे खनिज विभाग सहित वनविभाग की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं इन भट्ठों पर सम्बंधित विभाग की नजर नही पहुंच पा रही हैं जबकि इन ईंटें भट्टों मे लकडी का स्तेमाल होने से जंगलों का सफाया होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कहीं न कहीं वनविभाग की भूमिका पर भी सवाल खडे हो रहे हैं एक ओर केन्द्र राज्य सरकार एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाकर क्षेत्र सहित जंगलों को हराभरा बनाने की मुहिम जोरशोर से चल रही है वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र में इस अभियान को ठेंगा दिखाते हुए ईंट भट्ठों का खेल चल रहा है परन्तु न तो वनविभाग को ही अपने जंगलों की सुरक्षा करने की फिक्र हो रही हैं न ही राजस्व विभाग न ही खनिज विभाग को ही इन अवैध गौरखधंधे पर अंकुश लगाने की फुर्सत मिल पा रही है संबंधित विभागों की यही स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब प्रधानमंत्री के अभियान एक पेड़ मां के नाम केवल नारा बनकर रह जायेगा तथा वातावरण पूरी तरह प्रदूषित हो उठेगा ।