-अब देवी स्पंज आयरन फेक्ट्री में हुई ग्रामीण मजदूर की मौत
-सोमवार से रविवार तक हर रोज किसी न किसी फेक्ट्री में हादसे
-7 दिन में 7 की मौत सो रहा ओधोगिक स्वस्थ्य एवं सुरक्षा विभाग
सुरेन्द्र जैन धरसीवा
धरसीवा के ओधोगिक क्षेत्र सिलतरा में रविवार का दिन भी ओधोगिक हादसों के नाम ही रहा रविवार को मोहदी मार्ग स्थित देवी स्पंज आयरन फेक्ट्री में ग्रामीण मजदूर की दर्दनाक मौत हुई इसे मिलाकर ओधोगिक दुर्घटनाओं में 7 दिन में 7 कई मौत हो चुकी है सोमवार से शुरू हुए ओधोगिक हादसे रविवार तक किसी न किसी फेक्ट्री में हर रोज हुए बाबजूद ओधोगिक स्वस्थ्य एवं सुरक्षा विभाग मीठी नींद में सो रहा है
मोहदी निवासी था मजदूर
रविवार को देवी स्पंज आयरन फेक्ट्री में हुए हादसे में देवेंद्र साहू नामक मजदूर की दर्दनाक मौत हुई मृतक फेक्ट्री से करीब 1 किलो मीटर की दूरी पर स्थित ग्राम मोहदी का निवासी था जो मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करता था पोस्ट मार्डम के बाद शव परिवार जनों को सौप दिया गया पुलिस घटना के कारणों की जांच कर रही है।
सोमवार से रविवार तक रोज हादसे
ओधोगिक क्षेत्र सिलतरा की अधिकांश फैक्ट्रियां किसी न किसी लापरवाही के कारण छोटे बड़े हादसों को अब तक जन्म देती रही हैं इसलिए यहां ओधोगिक हादसे कोई नई बात नहीं हैं लेकिन सोमवार से तो गजब ही हो रहा है हर दिन किसी न किसी फेक्ट्री में हादसा ओर हादसों में मौत की घटनाएं हुई हैं सोमवार को नन्दन प्लांट में तेज आंधी बारिश के समय हादसा हुआ था जिसमे 1 श्रमिक की मृत्यु हुई कंपनी प्रबंधन ने मृतक के परिवार को 15 लाख का मुआवजा दिया दूसरे दिन मंगलवार की शाम घनकुल स्टील में हुए हादसे में दो फेक्ट्री श्रमिको की दर्दनाक मौत हुई इस घटना में फेक्ट्री प्रबंधन की घोर लापरवाही सामने आई क्योकि जिनकी मृत्यु हुई वो बिना सुरक्षा उपकरणों के ही फेक्ट्री में काम कर रहे थे हेलमेड तक नहीं पहने थे हेलमेड पहने होते तो शायद बच भी सकते थे इसके बाद बुधवार सुबह एपीआई इस्पात एंड पावर में हादसा हुआ जिसमें एक श्रमिक की मौत व कुछ अन्य श्रमिक घायल हुए ठीक इसी तरह इसके बाद अग्रवाल स्पंज में एक श्रमिक की मौत नाकोड़ा इस्पात में एक श्रमिक की मौत और सप्ताह के अंतिम दिन रविवर को देवी स्पंज आयरन में एक श्रमिक की मौत हुई इस तरह सोमवार से रविवार तक 7 दिन में अलग अलग फेक्ट्रियो में हुए हादसों में 7 श्रमिकों ने अपनी जान गंवाई।
सरकार बदली पर सिस्टम नहीं
ओधोगिक इकाइयों में गरीब मजदूरों का शोषण और आये दिन हादसों की घटनाएं कोई नई बात नहीं लेकिन सरकारें बदलने के बाद भी यदि परिस्थितियां ज़स की तस रहें तो यह कहने में कोई संकोच नहीं कि सरकारें बदल जाती हैं पर सिस्टम नहीं।
हेल्थ सेफ्टी सवालों के घेरे में
ओधोगिक इकाइयों में बढ़ते हादसों को लेकर हेल्थ एंड सेफ्टी विभाग सवालों के घेरे में हैं क्योकि हादसे भले न रोके जा सकते हों लेकिन सुरक्षा उपकरणों से उन हादसों में होने वाली मौतों को रोकना संभव होता है
उधोगों में ओधोगिक स्वस्थ्य एवं सुरक्षा की क्या स्थिति है फेक्ट्रियो में सुरक्षा उपकरण के साथ श्रमिक काम कर रहे या नहीं फेक्ट्री में सुरक्षा उपकरण ओरिजनल आईएसआई के हैं या नहीं कोई अकस्मात दुर्घटना होने पर फेक्ट्री में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था है या नहीं इसके लिए हेल्थ एंड सेफ्टी विभाग नजर रखना चाहिए और समय समय पर उचित कार्यवाही करते रहना चाहिए ताकि कहीं भी कोई भी फेक्ट्री में लापरवाही न हो लेकिन घटनाओं के बाद भी आज तक कहीं कोई ऐंसी बड़ी कार्यवाही नहीं हुई जिससे उधोगो में लापरवाही बन्द हो परिणाम स्वरूप हादसों का सफर जारी है।