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Kalki 2898 AD Review : क्या उम्मीदों पर खरी उतर पाई प्रभास की फिल्म या इस जगह हो गई चूक?

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प्रभास की फिल्म कल्कि 2898 एडी थिएटर में रिलीज हो चुकी है. आदिपुरुष और सलार के बाद थिएटर में जाकर सुबह-सुबह ये फिल्म देखने का कष्ट लेना चाहिए या नहीं ये दुविधा थी. लेकिन फिल्म को लेकर बज इतना ज्यादा था कि इसे देखने से मैं खुद को रोक नहीं पाई. प्रभास की फिल्म कल्कि देखकर ऐसा लग रहा है कि इस फिल्म में प्रभास का एक बड़ा-सा गेस्ट अपीयरेंस है. अगर उन्हें और देखना है तो हमें कल्कि 2898 एडी के पार्ट 2 का इंतजार करना पड़ेगा. बाकी फिल्म में दिखाई गई नई तकनीक और एक्शन के लिए आप ये फिल्म जरूर देख सकते हैं. लेकिन सुबह मत देखना फर्स्ट हाफ के शुरुआत में नींद आ सकती है.

कहानी

फिल्म रिलीज होने से पहले प्रोडक्शन ने वॉर्निंग दी थी कि स्पॉइलर्स मत शेयर करना. तो कोशिश करते हैं बिना स्पॉइलर के आपको कहानी बताएं. साल 2898 एडी में दुनिया बदल चुकी है. इस दुनिया में अमीर और अमीर हो गए हैं. गरीब अमीरों के गुलाम बनकर रह गए हैं. लेकिन इन गुलामों में कुछ क्रांतिकारी भी है. उन्होंने शंबाला नाम का अपना शहर बनाया है, जहां वो आज भी भगवान को मानते हैं. उनका दुश्मन है कली (कमल हासन). इस कली ने पृथ्वी से दूर अमीर लोगों के लिए नई दुनिया बनाई है, जिसे उन्होंने कॉम्प्लेक्स का नाम दिया है. कुल मिलाकर बात ये है कि भगवान का जन्म होने वाला है, क्रांतिकारी चाहते हैं उनका जन्म हो, लेकिन कली और उसकी आर्मी इस बच्चे को पैदा होने से पहले ही खत्म करना चाहती है. आगे की कहानी जानने के लिए आपको जाकर कल्कि 2898 एडी देखनी होगी.

सबसे पहले तो जब इस फिल्म में हम महाभारत के युग में अश्वत्थामा बने यंग अमिताभ बच्चन को बड़े पर्दे पर देखते हैं तब वहीं पैसा वसूल की अनुभूति होती है. लेकिन साउथ के फिल्ममेकर्स से अब ये अनुरोध है कि भैया दो फिल्म बनाने के चक्कर में फर्स्ट हाफ इतना भी मत खींचे कि ऑडियंस सामने वाली स्क्रीन की जगह मोबाइल की स्क्रीन देखने लग जाए. अगर कहानी एक पार्ट में खत्म हो सकती है, तो दूसरे पार्ट तक उसे ड्रैग करने की आवश्यकता नहीं है. फिल्म की बात करें तो फर्स्ट हाफ में बोरिंग लगने वाली ये फिल्म सेकंड हाफ में कुछ ऐसे बदल जाती है जैसे एकदम से वक्त बदल गया, जज्बात बदल गए, जिंदगी बदल गई.

निर्देशन और राइटिंग

कल्कि 2898 एडी का निर्देशन नाग अश्विन ने किया है. ये उनकी पहली एक्शन फिल्म है और उन्होंने बड़े पर्दे पर कमाल कर दिखाया है. थिएटर में जब हम ये फिल्म देखते हैं, तब लगता है कि कोई हॉलीवुड फिल्म देख रहे हैं. फिल्म का हर एक्शन सीन शानदार और ओरिजिनल है. फिर चाहे वो प्रभास की लड़ाई हो, या अश्वत्थामा-भैरव के बीच का युद्ध. एक तरफ जहां भैरव के एक्शन सीन में नाग अश्विन कई मॉडर्न फाइटिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए नजर आ रहे हैं, वहीं अश्वत्थामा के लिए उन्होंने महाभारत का रेफेरेंस देते हुए कुछ अनोखे ट्रेडिशनल एक्शन सीन डिजाइन किए हैं. ये कहानी भी नाग अश्विन ने लिखी है, फर्स्ट हाफ में फिल्म धीमी गति के साथ आगे बढ़ती है. लेकिन सेकंड हाफ में ये फिल्म पहले गियर से सीधे चौथे गियर में चली जाती है. कहानी भी इंटरवल के बाद एंगेजिंग होती जाती है. फिल्म में कॉमेडी का भी उचित तड़का लगाया गया है.

नाग अश्विन ने इससे पहले कीर्ति सुरेश और दुलकर सलमान के साथ महानटी बनाई थी. इस फिल्म की खास बात ये थी कि इस फिल्म में कोई एक्शन नहीं था, सिर्फ इमोशंस और ड्रामा का कमाल दिखाते हुए इस फिल्म से नाग अश्विन ने ऑडियंस का दिल जीत लिया था. लेकिन कल्कि 2898 एडी में ये ड्रामा ढूंढने पर भी नजर नहीं आ रहा. ड्रामा के बिना इमोशंस होने के बावजूद वो हम तक नहीं पहुंच पा रहा है. उदाहरण के तौर पर दीपिका अपने बच्चे के लिए आंसू तो बहा रही हैं, लेकिन हम उससे कनेक्ट नहीं हो पा रहे हैं. जिस तरह से जवान में दीपिका के किरदार को फांसी लगने के बाद हम भावुक हो जाते हैं, वो इमोशनल अटैचमेंट इस फिल्म से महसूस नहीं होता. लेकिन एक्टर्स ने अपनी तरफ से 100 प्रतिशत देने की कोशिश की है. फिल्म में बाहुबली या पुष्पा जैसे कोई दमदार डायलॉग और अच्छे गाने भी नहीं हैं, जो वायरल हो जाएं या फिर जिन्हें फिल्म खत्म होने के बाद भी याद रखा जाए.

एक्टिंग

कल्कि 2898 एडी के मेकर्स से सबसे बड़ी शिकायत है फिल्म में प्रभास के किरदार के बारे में. बाकी किरदारों के मुकाबले प्रभास की स्क्रीनस्पेस कम लगती है. फर्स्ट हाफ में तो उनके गिने-चुने सीन हैं. भैरव के साथ इस फिल्म में प्रभास और एक किरदार निभा रहे हैं. अपनी एक्टिंग से, कॉमिक टाइमिंग से और लाजवाब एक्शन से प्रभास दिल जीत लेते हैं. लेकिन अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण और कमल हासन के किरदारों से तुलना की जाए तो फिल्म में भैरव का किरदार बड़ा कमज़ोर और कन्फ्यूजिंग लगता है. उनके किरदार को देखकर बिलकुल भी नहीं लग रहा है कि वो इस फिल्म के हीरो है, लेकिन क्लाइमैक्स में ये स्पष्ट किया गया है कि आगे जाकर फिल्म कौन-सा मोड़ लेने वाली है. उम्मीद है फिल्म के दूसरे पार्ट में भैरव के किरदार पर और मेहनत की जाएगी.

अश्वत्थामा का किरदार निभाने वाले अमिताभ बच्चन निस्संदेह इस फिल्म का प्रमुख आकर्षण हैं. उनकी एंट्री के बाद थिएटर में एक अलग एनर्जी देखने को मिली. जिस तरह से अमिताभ बच्चन ने कल्कि में एक्शन सीन परफॉर्म किए हैं, उसे देखकर युवाओं को भी शर्म आ जाएगी. स्क्रीन पर उनकी एनर्जी कमाल की है. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन को देखने के लिए थिएटर में जरूर जाना चाहिए. कमल हसान ने अपनी भूमिका को पूरा न्याय दिया है. लेकिन उनके लिए यही कहना चाहेंगे कि ये तो बस झांकी है, आगे अभी पार्ट 2 भी बाकी है. इस फिल्म में भी उनके लुक पर खास मेहनत की गई है. दीपिका पादुकोण भी अपना किरदार ईमानदारी से निभाती हैं. दिशा पाटनी का किरदार हम सेकंड हाफ से पहले ही भूल जाते हैं. उनसे अच्छे तो दुलकर सलमान, विजय देवेरकोंडा, राम गोपाल वर्मा और एसएस राजामौली के कैमियो हैं, जिन्हें हम खूब एंजॉय करते हैं.

शानदार सिनेमेटिक एक्सपीरियंस के लिए कल्कि 2898 एडी जरूर देखें. बुजी और भैरव की बॉन्डिंग आपका खूब मनोरंजन करेगी. लंबे समय के बाद अमिताभ बच्चन एक दमदार किरदार में नजर आए हैं. परिवार के साथ थिएटर में जाकर इस फिल्म का आनंद जरूर लिया जा सकता है.
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