भोपाल। लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले विधायक रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे ने विधानसभा की सदस्यता से अभी तक त्यागपत्र नहीं दिया है। दोनों के मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव की उपस्थिति में भाजपा में शामिल होने की घोषणा हुई थी और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में काम भी किया।
चूंकि, दोनों ने अब तक अपने पद से त्यागपत्र नहीं दिया है इसलिए विधायक दल की ओर से विधानसभा सचिवालय को इनकी सदस्यता समाप्त करने का आवेदन दिया जाएगा। हालांकि, सदस्यता समाप्त होना आसान नहीं है। इसके पहले भी कांग्रेस ने सचिन बिरला के विरुद्ध आवेदन दिया था पर यह सिद्ध नहीं हो पाया था कि उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली।
विधानसभा चुनाव के बाद बड़े स्तर पर प्रदेश में दलबदल हुआ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इनमें तीन विधायक भी शामिल हैं। छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने तो पहले विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया और फिर भाजपा की सदस्यता ली।
विधानसभा सचिवालय ने उनकी सीट भी रिक्त घोषित कर दी। चंबल अंचल में खासा प्रभाव रखने वाले छह बार के विधायक रामनिवास रावत और मुरैना महापौर शारदा सोलंकी ने अपने समर्थकों के साथ 30 अप्रैल को मुख्यमंत्री की उपस्थिति में सदस्यता ले ली। मुख्यमंत्री के साथ रोड शो भी किया पर विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं दिया। उनका कहना है कि मैंने तो मुख्यमंत्री से दोस्ती में पट्टा डलवा लिया था।
इसी तरह बीना से विधायक निर्मला सप्रे ने भी मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सदस्यता ले ली थी पर उन्होंने भी विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं दिया। सप्रे को कहना है कि अभी वरिष्ठ नेताओं से इस संबंध में चर्चा नहीं हुई है।
चर्चा करके ही निर्णय लूंगी। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को साफ कहना है कि जो लोग भाजपा में जा चुके हैं, उनके बारे में स्थिति साफ है। जहां तक विधायकों की बात है तो कानूनी प्रकिया का पालन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि यदि विधायक त्यागपत्र नहीं देता है तो फिर सदस्यता समाप्त करवाने के लिए कांग्रेस को प्रमाण सहित आवेदन करना होगा। इसके लिए दोनों विधायकों के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में ली गई सदस्यता के वीडियो, फोटो, समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के अलावा उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों की फाइल तैयार की गई है।
चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे आवेदन के साथ लगाकर विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को दिया जाएगा। नियमानुसार इनका परीक्षण कराकर संबंधित विधायक से पक्ष लिया जाएगा और फिर कोई निर्णय होगा।
उधर, विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि हमें केवल अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह का त्यागपत्र संबंधी पत्र मिला था। अध्यक्ष ने जिसे स्वीकार किया और अब यह सीट रिक्त है। जब कोई और आवेदन मिलेगा तो नियमानुसार उस पर विचार किया जाएगा।
सचिन बिरला के मामले में आवेदन हो गए थे निरस्त
कांग्रेस ने 15वीं विधानसभा में बड़वाह से विधायक सचिन बिरला के खंडवा लोकसभा के उपचुनाव के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में भाजपा में शामिल होने की घोषणा हुई थी। उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं दिया तो तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष डा.गोविंद सिंह ने सदस्यता समाप्त करने के लिए आवेदन दिया। इसे परीक्षण उपरांत निरस्त कर दिया था।
दोबारा खरगोन से विधायक रवि जोशी की ओर से आवेदन दिया गया। जिसका परीक्षण तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने वकीलों से कराया और उसे भी तथ्यों के अभाव में निरस्त कर दिया। बिरला अंत तक कांग्रेस विधायक दल का हिस्सा बने रहे और 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और फिर जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।