सोना और चांदी की कीमतें रिकॉर्ड लेवल पर है. हर कोई यही अनुमान लगा रहा है कि सोने और चांदी की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. कोई साल के अंत तक 75 हजार रुपए के लेवल को नाप रहा है. कुछ का कहना है कि दिवाली तक गोल्ड के दाम 72,500 रुपए के लेवल पर पहुंच जाएंगे. कोई भी इस बात को नहीं कह रहा है कि सोना सस्ता होगा. अगर ये कहा जाए कि जून के महीने में सोने के दाम में 6 से 7 हजार रुपए की गिरावट आ सकती है? तो आप क्या कहेंगे? जी हां, हो गए ना हैरान? आज गोल्ड की कीमतों में तेजी के बीच इसी बात की चर्चा होगी.
गोल्ड की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण है जियो पॉलिटिकल टेंशन. खासकर मिडिल ईस्ट में जिस तरह से इजरायल के खिलाफ ईरान खड़ा हो गया है. साथ ही अमेरिका भी इस संभावित युद्ध के लिए अलर्ट हो चुका है. रूस और यूक्रेन के बीच भी तनातनी कम नहीं हुई है. इसके अलावा चीन की ओर से अग्रेसिव खरीदारी देखने में आई. सबसे अहम बात अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व की ओर से संभावित ब्याज दरों में कटौती की बात काफी दिनों से हवा में तैर रही है.
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर जून के महीने में ऐसा क्या हो सकता है कि गोल्ड की कीमतों में मौजूदा लेवल से 8 से 10 फीसदी गिरावट यानी 6 से 7 हजार रुपए की गिरावट देखने को मिल सकती है? वास्तव में अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व की जून में सबसे अहम पॉलिसी बैठक होने जा रही है. इस बैठक में सेंट्रल बैंक का रुख तय करेगा कि गोल्ड के दाम में तेजी आएगी या फिर गिरावट. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर जून की बैठक में अमेरिकी फेड रुख वैसा रहा जैसा कि हम सोच रहे हैं तो उन लोगों को काफी राहत मिलेगी जो गोल्ड के सस्ता होने का इंतजार रहे हैं.
क्या है मौजूदा परिस्थिति?
अगले कुछ दिनों में अमेरिका में महंगाई के आंकड़ें सभी के सामने होंगे. पिछले महंगाई आंकड़ें भी 3 फीसदी से ऊपर थे. जबकि अमेरिकी फेड का टारगेट महंगाई को 2 फीसदी पर लेकर आना है. वैसे पिछले हफ्ते रोजगार के ब्लॉकबस्टर आंकड़ों से निवेशकों को थोड़ी राहत जरूर मिली है. लेकिन आने वाले महंगाई के आंकड़ों को लेकर अमेरिकी निवेशक बिल्कुल भी आशावादी नजर नहीं आ रहे हैं. जिसकी वजह से मौजूदा साल में अभी तक अमेरिकी फेड ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं कर सका है. पिछले साल अमेरिकी फेड ने साल 2024 में ब्याज दरों में 3 कटौती की बात कही थी. कैलेंडर ईयर का एक क्वार्टर बीत चुका है. ब्याज दरों में कटौती नहीं हुई है. सिर्फ संभावना जताई जा रही है कि फेड महंगाई की दरों पर नजर बनाए हुए हैं और ब्याज दरों में कटौती होगी?
जून की मीटिंग पर टिकी हैं सभी की नजरें
सिर्फ अमेरिकी निवेशकों की ही नहीं बल्कि भारत समेत पूरी दुनिया की नजरें अमेरिकी फेड की जून की मीटिंग पर नजरें टिकी हुई हैं. वैसे कुछ जानकारों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि महंगाई के आंकड़ें जून तक कम नहीं होंगे. जिसकी वजह से अमेरिकी फेड को अपनी ब्याज दरों की कटौती के प्लान को अक्टूबर तक के लिए टालना पड़ सकता है. वहीं दूसरी ओर कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि जून में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद फेड आने वाले महीनों के अपना रुख हॉकिश रख सकता है. जिसका असर डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड पर उल्टा पड़ सकता है. इसका मतलब है कि ब्याज दरों में कटौती के बावजूद भी दोनों में तेजी देखने को मिल सकती है.
गोल्ड में क्या होगा असर?
यहीं से असल खेल गोल्ड में देखने को मिल सकता है. अगर जून के महीने में अमेरिकी सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करता है. तो डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में इजाफा हो जाएगा. उसके बाद गोल्ड की कीमतों में 8 से 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है. यहां तक कि अगर फेड जून में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करता भी है और आपने वाले दिनों के लिए ब्याज दरों पर अपना रुख दोबारा से स्टेबल करता है तो गोल्ड के दाम में गिरावट देखने को मिलेगी. जानकारों का कहना है कि ब्याज दरों में कटौती का फायदा गोल्ड के दाम ले चुके हैं. अगर ब्याज दरों में जून में कटौती होती भी है तो ज्यादा असर देखने को नहीं मिलेगा. उसके बाद फेड के रूख पर डिपेंड करेगा कि वह आगे के लिए क्या कहता है.
तो 6 से 7 हजार रुपए सस्ता होगा सोना?
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि जून का महीना गोल्ड के लिए काफी दिलचस्प रहने वाला है. उसका प्रमुख कारण ये है कि जून की मीटिंग गोल्ड की कीमतों का भविष्य तय करेगी. बीते 180 से 200 दिनों में गोल्ड की कीमत में 27 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. ऐसे में गोल्ड में करेक्शन ड्यू है.
लेकिन इस करेक्शन का कोई फैक्टर अभी तक सामने नहीं आया है. इंटरनेशनली जियो पॉलिटकल टेंशन से लेकर चीन की ओर से बाइंग और फेड की संभावित कटौती गोल्ड की कीमतों को सपोर्ट करती नजर आ रही हैं. ऐसे में जून की होने वाली मीटिंग में फेड का रुख गोल्ड के दाम तय करेगी.
अजय केडिया ने जानकारी देते हुए कहा कि सीएमई फेडवॉच टूल का सुझाव है कि जून में फेड दर में कटौती की संभावना घटकर 51.1 फीसदी हो गई है. इसका मतलब है कि अगर जून में फेड ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करता है तो सोने के दाम में गिरावट देखने को मिलेगी.
उन्होंने साफ कहा कि फेड जून की मीटिंग में महंगाई के आंकड़ों को दिखाकर फिर से जून में फेड रेट पर पॉज बटन दबाती है तो गोल्ड में करेक्शन का ट्रिगर दब जाएगा और कीमतों में 8 से 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिलेगी. इसका मतलब है कि मौजूदा लेवल से गोल्ड की कीमतों में 6 से 7 हजार रुपए की गिरावट देखने को मिल सकती है. यानी गोल्ड के दाम फिर से 64 से 65 हजार रुपए के बीच आने की संभावना है.
रिकॉर्ड हाई गोल्ड के दाम
वैसे मंगलवार को गोल्ड के दाम रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गए थे. आंकड़ों के मुताबिक देश के वायदा बाजार में गोल्ड की कीमतें 71,739 रुपए प्रति दस ग्राम पर आ गई थी, जोकि गोल्ड का नया लाइफटाइम हाई है. अप्रैल के महीने में गोल्ड की कीमत में 6 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. जबकि मौजूदा साल में गोल्ड के दाम में निवेशकों को 12 फीसदी तक की कमाई करा चुके हैं. मंगलवार को बाजार बंद होने तक 71,331 रुपए प्रति दस ग्राम पर दिखाई दिए हैं.