सागर ।आप सोचते हैं गुरुदेव की याद में सब कर लेंगे तो यह संभव नहीं है द्रव्य में गुरु चाहिए, क्षेत्र में गुरु चाहिए, काल में गुरु चाहिए और भाव में भी गुरु चाहिए साता का उदय बना रहे गुरु के बिना यह संभव नहीं है आचार्य श्री विद्यासागर महाराज कहते थे सत्य शब्दों से नहीं चरित्र में दिखाई देना चाहिए यह बात मुनि श्री विनम्र सागर महाराज ने उनकी समाधि के उपरांत सामूहिक विनयांजलि सभा के अवसर पर भाग्योदय तीर्थ में कहीं।
विनयांजलि सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री आगम सागर महाराज ने कहा जो कुछ करते है वह सब गुरुदेव ज्ञान सागर महाराज करते हैं लेकिन 2009 में आचार्य श्री ने कहा कि इस बार भाग्योदय में डॉक्टर और वकीलों को जोड़ना है पंचकल्याणक के बाद मैंने कहा गुरुदेव एमआरआई मशीन और सीटी स्कैन मशीन आ गई यह सब आपकी कृपा से हुआ है तो गुरुदेव ने कहा मैं कुछ नहीं करता जो कुछ करते हैं वह आचार्य ज्ञान सागर जी करते हैं वे करते स्वयं थे लेकिन श्रेय कभी खुद नहीं लेते थे बुंदेलखंड की माटी में पहले रोटी पर घी नहीं होता था लेकिन आज गुरुदेव के आशीर्वाद से यहां के हर घर में घी के दिए जल रहे हैं आचार्य श्री ने संलेखना गुप्त रूप से की है जो काम दुनिया बोलकर करती थी है वह उन्होंने स्वयं कर लिया। मुनि श्री निर्मद सागर महाराज ने कहा गुरु के बगैर संसार में कुछ नहीं होता है उनके जाने से हमारा सब कुछ चला गया वे हमारे माता-पिता थे उत्साह खत्म हो गया है लेकिन यथार्थ को स्वीकार करना होगा वे इतनी जल्दी जाएंगे यह किसी को भरोसा नहीं था उनके बारे में बोलने शब्द कम पड़ रहे हैं उनकी सुंदरता चेहरे से नहीं चरित्र से थी गुरुदेव ने हर कार्य कर्तव्य समझकर किया है समाज के लिए, देश के लिए मुनि श्री ने कहा मोक्ष मार्ग स्वयं के लिए होता है दूसरे के लिए नहीं, जैन दर्शन मरने की कला सिखाता है गुरुदेव ने सुमरण किया वह
आचार्य श्री ने कर्नाटक से आकर देश के कई प्रांतों में धर्म पताका फहराई है। मुनि श्री निस्वार्थ सागर ने कहा जिन्होंने अपने जीवन में गुरुदेव के दर्शन किए हैं उन्होंने सम्यक दर्शन प्राप्त किया है आचार्य श्री भगवान से कम नहीं थे उन्होंने बुंदेलखंड की माटी को अपनी तपस्या से सींचा है।
आर्यिका गुरुमति माताजी ने कहा कि किसी में कोई कमी होती है और कोई में अधिकता होती है जब जीवन की सुरक्षा होती है आप सभी को अब अप्रभावना से बचके रहना है आचार्य श्री ने दीक्षा के बाद उन्हें मौन व्रत दे दिया था दीक्षा के समय संयम का महत्व होता है। आर्यिका दृढ़मति माताजी ने कहा कि गुरु के साथ रहने से जीवन मंगलमय हो जाता है अब कहना पड़ता है आचार्य श्री थे तो मैं कहती हूं की आचार्य श्री थे, हैं और रहेंगे हालांकि सत्यता स्वीकारना होगा संतों के सरताज होने से उन्हें संत शिरोमणि कहा जाता था वे वर्तमान की राम थे।
आचार्य श्री को भारत रत्न मिलना चाहिए गोविंद राजपूत
मध्य प्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भाग्योदय तीर्थ में आयोजित विनयांजलि सभा में कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की समाधि के उपरांत भारत रत्न मिलना चाहिए हालांकि उन्होंने कहा यह बात मैं नहीं हजारों लाखों करोड़ों लोग चाहते हैं। गुरुदेव के साथ कई बार मुझे विहार करने का अवसर प्राप्त हुआ है गुरुदेव की सोच दुर्लभ थी उन्होंने जीव मात्र की रक्षा के लिए हमेशा कार्य किया है एक बार विहार के दौरान रात्रि विश्राम जिस परिसर में होना था वहां पर बहुत मच्छर थे तो हम लोगों ने सोचा की आचार्य श्री कैसे रहेंगे लेकिन थोड़ी बात देर बाद वहां पहुंच कर देखा तो वहां पर ऐसा कुछ नहीं था आचार्य श्री के जन्म दिवस पर शरद पूर्णिमा पर मध्य प्रदेश शासन को अवकाश घोषित हो इसकी चर्चा में मुख्यमंत्री से करूंगा।
पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा के आचार्य श्री को सतायु होना था रहली पटनागंज में कुंडलपुर से जब गुरुदेव आए थे उस समय स्वास्थ्य 8 दिन में ठीक हो गया था लेकिन बहुत दुर्बल हो गए थे आचार्य श्री ने उनसे कहा था कि आपके माता-पिता ने आपका नाम गोपाल रखा है तो गाय की सेवा करो जिससे आपका नाम चरितार्थ हो जाएगा गुरुदेव ने जो आदेश दिया उसका पालन किया और गढ़ाकोटा में 14 एकड़ जगह उन्होंने गौशाला के लिए दी भार्गव जी ने कहा साधु समाज में पैदा होते हैं लेकिन वे सभी समाजों की धरोहर होते हैं उन्होंने ज्ञान का प्रकाश पूरे विश्व को दिया हे।
विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा डोंगरगढ़ में आचार्य श्री के दर्शन किए थे और गुरुदेव ने जीव दया पर बात की थी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा गुरुदेव के चरणों में आते थे और जैसे ही उन्हें गुरुदेव की समाधि का पता चला था दिल्ली में भाजपा के अधिवेशन में मोदी जी ने भरे मंच से भावांजलि दी थी गुरुदेव ने हमेशा विश्व कल्याण की बात की है भारत के कल्याण की बात की है कभी अन्य कोई मांग नहीं की है उनके लिए भारत रत्न छोटा होगा विश्व का नोबेल पुरस्कार का नमन कान हो इसके लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भेजा जाएगा।
जिला अध्यक्ष गौरव सिरोठिया ने कहा संत सभी के थे आज भी विश्वास नहीं है कि गुरुदेव चले गए उनका बताया हुआ मार्ग हमेशा हम सबको प्रेरणा देता रहेगा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र समरसता प्रमुख सुनील देव ने कहा आचार्य श्री बिरले थे उन्होंने शिक्षा के प्रति, जीवन के प्रति, प्राणियों की सेवा के लिए जो प्रकल्प तैयार किए हैं वे हमेशा चलते रहेंगे उनके पास बैठकर अनुभूति होती थी। डॉ जी एस चौबे ने कहा आचार्य श्री चलते-फिरते तीर्थ थे हमारे भगवान थे सब कुछ त्याग उन्होंने सब को जगा दिया आशीष द्विवेदी ने कहा गुरु का गुण लिखा जाए और महिमा का वर्णन किया जाए यह हो नहीं सकता जो अपना काम करके चले गए नदियां, हवाएं किसी एक कि नहीं होती है राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सब भूतपूर्व हो जाते हैं लेकिन गुरु जी कभी भूतपूर्व नहीं अभूतपूर्व होंगे इस दुनिया में आचार्य श्री के रूप में जीते जागते भगवान देखे हैं।
कार्यक्रम को पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव, योगाचार्य विष्णु आर्य, जेठा भाई पटेल, एस एस सूरी, राजेंद्र दुबे, वीरेंद्र मालथौन, पप्पू तिवारी, सफीक खान, फादर पाल, अनिल जैन नैनधरा, अशोक बालाजी, डॉ राजेश जैन, जस्सी सरदार आदि ने संबोधित किया और अपनी विनयांजलि दी।
कार्यक्रम में सिख समाज के पंच प्यारे उपस्थित हुए जिला पंचायत के अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत, सागर अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह सुधीर यादव, कमलेश साहू गढ़ाकोटा, प्रतिभा चौबे, चेतराम अहिरवार पार्षद शैलेश जैन, पवन मिश्रा, श्रीमती आशा जैन, सुशील पांडे, धरणेरद्र जैन संदीप श्रीवास्तव के अलावा एकता समिति दिगंबर जैन सोशल ग्रुप अर्हम, जैनम के सभी सदस्य उपस्थित थे कार्यक्रम की शुरुआत अहिंसा जैन के मंगलाचरण से हुई भाग्योदय ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने दीप प्रज्जलन किया निर्माण समिति के सभी सदस्यों महेश बिलहरा, देवेंद्र जैना, राजेश जैन रोड लाइंस, आनंद स्टील, सट्टु कर्रापुर, प्रदीप पड़ा, अजित जैन नीटू, शैलेंद्र जैन शालू , दिनेश बिलहरा आदि ने पुष्पांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम का संचालन मुकेश जैन ढाना और सुरेंद्र जैन मालथौन ने किया।
भारत रत्न मिले और शरद पूर्णिमा पर अवकाश घोषित हो- मुकेश जैन ढाना
सागर दिगंबर जैन पंचायत सभा के अध्यक्ष मुकेश जैन ढाना ने विनयांजलि सभा में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की समाधि के उपरांत उपस्थित मंत्री विधायक आदि से मध्य प्रदेश सरकार शरद पूर्णिमा के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश रखें और प्रधानमंत्री को मध्य प्रदेश सरकार प्रस्ताव भेजकर आचार्य विद्यासागर महाराज को भारत रत्न की उपाधि मिले ऐसा अनुरोध किया।