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एक अधीक्षका के भरोसे तीन छात्रावास,छात्राओं की सुरक्षा सवालों के घेरे में

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रसोईया और चपरासी के भरोसे हो रहे संचालित

अभिषेक असाटी बक्सवाहा

शासन की तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं तब धरी की धरी रह जाती हैं जब शासन के ही नुमाइंदे इन योजनाओं को धरातल पर क्रियान्वित ना करते हुए सिर्फ उन्हें कागजों में ही दर्शा देते है।
ताजा मामला बक्सवाहा विकासखंड में स्थित छात्रावासों का है जहां शासन द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति बालिका छात्रावास एवं शासकीय आश्रम कन्या छात्रावास बम्होरी और शासकीय जूनियर कन्या छात्रावास का है जहां पिछले कई वर्षों से पदस्थ अधीक्षका अपनी मनमर्जी से नियमो को ताक पर रख कर छात्रावासों को संचालित कर रही हैं ना तो वह कभी छात्रावास जाती है और ना ही वहां की देखरेख में कोई दिलचस्पी है शासन की आ रही तमाम योजनाओं को घर बैठकर ही वह कागजों में दर्शाते हुए *बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ* जैसी महत्वपूर्ण योजना का मजाक बनाती नजर आ रही हैं ।

जानकारी के अनुसार वहां रह रही छात्राओं के साथ उचित व्यवहार नहीं किया जा रहा है ना तो बच्चियों को टाइम पर खाना दिया जा रहा है और ना ही छात्रावास की साफ सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है वहां पढ़ रही छात्राओं के अभिभावकों ने बताया कि हमारी बच्चियों को गंदे बिस्तरों पर लेटना पड़ रहा है वहीं भोजन करने के बाद बर्तनों को भी स्वयं धोना पड़ रहा है।
अभिभावकों का कहना है कि अधीक्षिका द्वारा बच्चियों को इतना डराया धमकाया जाता है कि वह ना तो अपनी समस्या के बारे में घर पर बताती हैं और ना ही किसी वरिष्ठ अधिकारी को अपनी स्थिति के बारे में बता पाती हैं।

तीन छात्रावास पर एक अधीक्षिका
बक्सवाहा विकास खंड के स्थित तीन छात्रावासों का प्रभार एक अधीक्षका के भरोसे चल रहा है यह बता दें कि शासकीय जूनियर कन्या छात्रावास बक्सवाहा,शासकीय अनुसूचित जनजाति कन्या छात्रावास बक्सवाहा के साथ लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित शासकीय कन्या आश्रम बम्होरी को पिछले कई वर्षों से एक ही अधीक्षका के द्वारा संचालित किया जा रहा है वही सोचने वाली बात है कि तीन कन्या छात्रावास में एक अधीक्षका का कैसे छात्राओं की देखरेख कर पाती हैं जानकारी के अनुसार छात्रावास में रात्रि के समय अधीक्षका का होना बहुत ही जरूरी है लेकिन अधीक्षका का अपना निवास बक्सवाहा में हैं और अधिकतर वह अपने निवास पर ही आराम फरमाती है वही बम्होरी स्थित कन्या आश्रम जहां सैकड़ों छात्राओं की जिम्मेदारी यहां पदस्थ सुषमा सिंह को सौपी गई है लेकिन अधीक्षका कई महीनो तक छात्रावास नहीं जाती वहां का छात्रावास सिर्फ रसोईया और चपरासी के भरोसे चल रहा है।
अधीक्षका की गैरमौजूदगी के चलते छात्राएं डर के साए में जीने को मजबूर है कुछ दिनों पहले एक मामला सामने आया था जहां छात्रावास से लगभग 1 किलोमीटर दूर एक छात्रावास की छात्रा बेहोशी की हालत में रोड पर पाई गई थी जिसके बाद जानकारी लगने पर अधीक्षका के द्वारा आनन-फानन में उसे तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाकर इलाज कराया गया था।
जांच कराई जाएगी
इसकी जानकारी आपके द्वारा प्राप्त हुई है इसको हम दिखवाते हैं और जांच भी कराई जाएगी।
राकेश शुक्ला एसडीएम बिजावर

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