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वर्षा के दौरान बिजली आपूर्ति अवरूद्ध होने पर वाट्सएप चेटबोट और 1912 पर करें संपर्क

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 भोपाल। वर्षा का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में कभी भी बिजली गुल हो जाती है तो इस दौरान उपभोक्ताओं को व्हाट्सएप चैबोट या फिर 1912 पर संपर्क करने के लिए बिजली कंपनी ने अपील की है। साथ ही यह भी बताया कि घर में लगे एमसीबी (मिनियेचर सर्किट ब्रेकर) स्वीच जरूर लगाना चाहिए, जिससे घर की बिजली प्रवाह में कोई गड़बड़ी होने पर बिजली आपूर्ति स्वतः बंद हो जाती है और जानमाल की हानि को टाला जा सकता है।

घर में अर्थिंग होना चाहिए समय-समय पर जांच करना चाहिए। बिजली उपकरण अथवा वायरिंग गीली जगह पर नहीं होना चाहिए। इसे सुरक्षित होना चाहिए। बिजली के खंबों से पशुओं को नहीं बांधना चाहिए।टूटे हुए बिजली के तारों को हाथ न लगाएं, तत्काल बिजली कंपनी को सूचित करें। भैंसों के तबेलों के आसपास बिजली आपूर्ति के वायरिंग न हों इसका भी ध्यान रखें। बिजली आपूर्ति अवरूद्ध होने पर 5 से 10 मिनिट रूककर ही वाट्सएप चेटबोट उपाय, एप अथवा बिजली कंपनी के टोल फ्री नंबर 1912 पर संपर्क करें।

विद्युत वितरण कंपनियों ने बिजली उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे बिजली कंपनी या बिजली के लाइन कर्मचारियों को दोष देने से बचें और विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली की आपूर्ति बहाल करने किए जा रहे सुधार कार्य में सहयोग करें।आंधी-तूफान और वर्षा के मौसम की शुरूआत में विद्युत आपूर्ति अवरूद्ध (लोकल फाल्ट) होने की घटना ज्यादा होती है। उपभोक्ता बिजली कंपनी पर अपना गुस्सा उतारता है, लेकिन बिजली गुल क्यों हुई, इसका जवाब कोई नहीं खोजता। देर रात बिजली गुल होने के कुछ देर बाद आ जाती है। वैसे तो आधुनिकीकरण की दिशा में काम चल रहे हैं फिर भी बिजली की ओवर हेड लाइन का जाल ऐसा है कि उसे चालू अथवा बंद रखने के लिए लाइनकर्मी की ही जरूरत होती है।

ऐसे मौसम में जब बिजली गुल होती है तो निश्चित ही अंधेरे में खुद की जान जोखिम में डालकर कोई लाइन कर्मचारी खंबे पर चढ़ा होता है। यह बात उपभोक्ता को अपने जहन में रखना ही होगी। ऐसे में बिजली प्रणाली को दोष देने की बजाय उस दौरान उठाए गए कदमों को समझना चाहिए। बिजली के खंबों में बिजली प्रवाहित न हो, इसके लिए आपने चाकलेटी रंग या सफेद रंग के इंसूलेटर खम्बे में लगे देखे होंगे। बहुदा यह इंसूलेटर धूप अथवा बिजली प्रवाह के कारण गरम होते हैं, उन पर बारिश में पानी की एक बूंद पड़ते ही वह चटक जाते हैं और बिजली का प्रवाह खम्बे से जमीन पर उतरता है। इस दौरान तत्काल आटोमेटिक प्रणाली क्रियान्वित होकर फीडर बंद हो जाते हैं। यदि फीडर बंद न हुआ तो जानमाल की हानि होने की संभावना होती है। जब बिजली लाइन में अचानक कोई अवरोध होता है,उस समय बिजली उपकेन्द्र के कर्मचारी समीप के उपकेन्द्र से संपर्क कर उनके यहां बिजली आपूर्ति है या नहीं, इसकी जानकारी लेते हैं। बिजली आपूर्ति सुचारू होने की बात पक्की होने के बाद ही फीडर चालू किया जाता है। यदि फीडर बंद हुआ है तो उसे खराब घोषित किया जाता है। फीडर में आई खराबी या फाल्ट को ढूंढना आसान नहीं होता है। आंधी-तूफान, बारिश और अंधेरे की परवाह न करते हुए खोज मुहिम हाथ में ली जाती है, कभी बंद पड़ी बिजली लाईनों के सभी खंबों की जांच करना पड़ती है और कभी-कभी गड़बड़ी कुछ खंबों के बीच ही मिल जाती है।

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