नागौर में एक दो साल का मासूम दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था। उसके इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये के इंजेक्शन की जरूरत थी। पिता की आर्थिक स्थिति ठीक न हो पाने की वजह से वो उसका इलाज करा पाने में सक्षम नहीं था। बताया जा रहा है कि बच्चे के पिता ने इलाज के लिए सरकार से लेकर कोर्ट तक मदद की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने बच्चे के इलाज को लेकर आदेश भी जारी किया था, बावजूद उसका इलाज नहीं हो सका। कोर्ट ने राजस्थान सरकार को इलाज के संबंध में आदेश भी जारी किया था। इस दुर्लभ बीमारी के लिए 16 करोड़ तक का टैक्स भी माफ कर दिया गया था। बावजूद इसके इंजेक्शन का इंतजाम नहीं हो सका और बच्चे का इलाज नहीं हो पाया और उसकी मौत हो गई।
बच्चे के पिता शैतान सिंह की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह खुद इतने रुपयों का इंतजाम कर पाए। अपने बच्चे की जान बचाने के लिए उसने सरकार से कई बार गुहार लगाई। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मदद के लिए पत्र भी लिखा था।इस दुर्लभ बीमारी में शरीर में पानी की कमी हो जाती है। बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता और धीरे-धीरे अंग काम करना बंद कर देते हैं। मासूम बच्चा नौ महीने से जयपुर में भर्ती था। उसके शरीर में प्रोटीन नहीं बन रहा था। वह कुछ खा नहीं पा रहा था। इस बीमारी के इलाज में जोलोन्स्म्मा इंजेक्शन की जरूरत होती है। इस इंजेक्शन की कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है।
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