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राहुल गांधी ने कांग्रेस और आदिवासियों के पुराने रिश्तों को किया याद

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जयपुर। राहुल गांधी का कहना था कि यूपीए सरकार में हम आदिवासी भाई-बहनों के जड़, जंगल और जमीन के हकों की रक्षा के लिए पेसा कानून लेकर आए। भूमि अधिग्रहण कानून लाए, ताकि आपके, हमारे किसान भाइयों के हकों की रक्षा हो सके। अपने संबोधन में उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी की विचारधारा की तुलना करते हुए कहा कि आज देश में दो तरह की विचारधारा चल रही है। एक तरफ कांग्रेस की विचारधारा है, जो सबको जोड़ने, सबकी इज्जत करने और सबके इतिहास, सबकी संस्कृति की रक्षा करने का काम करती है। दूसरी ओर बीजेपी सबको बांटने में, सबको कुचलने में यकीन करती है। हम कमजोरों की मदद करते हैं, वे चुने हुए बड़े उद्योगपतियों की मदद करने में यकीन रखते हैं।

महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के लिए केंद्र पर निशानाकांग्रेस सांसद ने देश में मौजूदा महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। वहीं राजस्थान की गहलोत सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि यहां सरकार गरीबों और आदिवासियों के कल्याण के लिए कई काम कर रही है। इस मौके पर उन्होंने 10 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज और अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे गरीबों और आदिवासियों को जबरदस्त फायदा होगा। इससे यहां के युवा देश के साथ-साथ विदेश भी जाकर रोजगार पा सकते हैं।


राहुल बोले- अगले साल बेणेश्वर में लगने वाले मेले हिस्सा लेने आएंगेइस मौके पर राहुल गांधी ने यहां बनने वाले पुल से आदिवासी समुदाय को होने वाली दिक्कतों से निजात मिलने की बात करते हुए कहा कि वह अगले साल बेणेश्वर में लगने वाले मेले, जिसे आदिवासियों का महाकुंभ कहा जाता है, में हिस्सा लेने के लिए आएंगे। अपनी रैली से पहले राहुल गांधी ने आदिवासियों का तीर्थ कहे जाने वाले बेणेश्वर धाम में पूजा अर्चना की और उसके बाद उन्होंने वागड़ इलाके के एक हाईलेवल पुल के शिलान्यास कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत भी साथ थे।


132 करोड़ की लागत से बनने वाले पुल का किया शिलान्यास

132 करोड़ की लागत से बनने वाले इस पुल के बाद यहां स्थानीय लोगों कोकाफी सहूलियत हो जाएगी। सोम, माही और जाखम नामक तीन नदियों के संगम पर बेणेश्वर धाम में राहुल ने सुप्रसिद्ध शिव मंदिर में पूजा की। इसके अलावा, उन्होंने यहां के वाल्मीकि मंदिर और राधाकृष्ण मंदिर के दर्शन करने के साथ ही स्थानीय संत सावजी महाराज संग्रहालय का दौरा किया।

रैली के पीछे कांग्रेस की ये है रणनीति

यहां दौरे और रैली के पीछे न सिर्फ राजस्थान के आदिवासी समुदाय को साधने की कोशिश है, बल्कि यह इलाका गुजरात और मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों से भी लगता है, जिसे ध्यान में रखकर भी यह रैली की गई। पिछले कुछ सालों में कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाने वाला आदिवासी समुदाय उससे दूर हुआ है। दरअसल, गुजरात और राजस्थान में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) की बढ़ती पैठ ने कांग्रेस के माथे पर चिंता की लकीर डाल दी है। गुजरात के बाद पिछले राजस्थान चुनाव में बीटीपी ने दो सीटें निकाली थीं। पिछले गुजरात चुनावों में छोटू भाई वसावा की बीटीपी ने कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन इस बार उन्होंने वहां आप के समर्थन का ऐलान किया है। राजस्थान में कुल 25 सीटें एसटी के लिए रिजर्व हैं।

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